मेलबर्नः इजरायल-हमास युद्ध में इजरायली सेना की ओर से गाजा में तबाही मचाने के लिए नई कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रणाली का उपयोग करने के आरोपों ने पूरी दुनिया में सनसनी मचा रखी है। इस मामले पर आई एक और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ने इजरायल पर लगे एआई के इस्तेमाल के आरोपों को और भी ज्यादा पुख्ता करने का काम किया है। आरोप है कि गाजा इजरायल में एआई का इ्स्तेमाल करके टारगेट किलिंग कर रहा है। इस रिपोर्ट ने संयुक्त राष्ट्र समेत इजरायल के दोस्त अमेरिका की भी नींद उड़ा दी है।
आरोप है कि इजरायल ने गाजा में संभावित हवाई हमलों के लिए हजारों मानव लक्ष्यों की सूची तैयार की। पिछले सप्ताह प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। रिपोर्ट गैर-लाभकारी आउटलेट +972 मैगज़ीन से आई है, जो इज़रायली और फ़लस्तीनी पत्रकारों द्वारा चलाया जाता है। रिपोर्ट में इज़रायली ख़ुफ़िया विभाग के छह अज्ञात स्रोतों के साक्षात्कार का हवाला दिया गया है। सूत्रों का दावा है कि सिस्टम, जिसे लैवेंडर के नाम से जाना जाता है, का उपयोग अन्य एआई सिस्टम के साथ संदिग्ध आतंकवादियों को लक्षित करने और उनकी हत्या करने के लिए किया गया था - जिनमें से कई अपने ही घरों में थे - जिससे बड़ी संख्या में नागरिक हताहत हुए।
गाजा युद्ध में लैवेंडर का बवंडर
गार्डियन की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, +972 रिपोर्ट के समान स्रोतों के आधार पर, एक खुफिया अधिकारी ने कहा कि सिस्टम ने बड़ी संख्या में हमलों को अंजाम देना ‘‘आसान बना दिया’’, क्योंकि ‘‘मशीन ने इसे ठंडे दिमाग से किया’’। जैसा कि दुनिया भर की सेनाएं एआई का उपयोग करने की होड़ में हैं, ये रिपोर्टें हमें दिखाती हैं कि यह कैसा दिख सकता है: सीमित सटीकता और कम मानवीय निरीक्षण के साथ मशीन-स्पीड युद्ध, जिसमें नागरिकों को भारी नुकसान होगा। इज़रायली रक्षा बल इन रिपोर्टों में कई दावों का खंडन करता है। गार्जियन को दिए एक बयान में, उसने कहा कि वह ‘‘आतंकवादी गुर्गों की पहचान करने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली का उपयोग नहीं करता है’’। इसमें कहा गया है कि लैवेंडर एक एआई सिस्टम नहीं है बल्कि ‘‘सिर्फ एक डेटाबेस है जिसका उद्देश्य खुफिया स्रोतों को क्रॉस-रेफरेंस करना है’’।
खुफिया रिपोर्ट में इजरायल के पहले एआई युद्ध का दावा
येरूसलम पोस्ट ने एक खुफिया अधिकारी की रिपोर्ट में कहा कि इज़रायल ने अपना पहला ‘‘एआई युद्ध’’ जीता है। डेटा का निरीक्षण करने और लक्ष्य तैयार करने के लिए वह कई मशीन लर्निंग सिस्टम का उपयोग कर रहा है। उसी वर्ष द ह्यूमन-मशीन टीम नामक एक पुस्तक, जिसमें एआई-संचालित युद्ध के दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया था, एक लेखक द्वारा छद्म नाम के तहत प्रकाशित की गई थी, जिसे हाल ही में एक प्रमुख इजरायली गुप्त खुफिया इकाई का प्रमुख बताया गया था। पिछले साल, एक अन्य +972 रिपोर्ट में कहा गया था कि इज़रायल संभावित आतंकवादी इमारतों और बमबारी सुविधाओं की पहचान करने के लिए हब्सोरा नामक एक एआई सिस्टम का भी उपयोग करता है। रिपोर्ट के अनुसार, हब्सोरा ‘‘लगभग स्वचालित रूप से’’ लक्ष्य उत्पन्न करता है, और एक पूर्व खुफिया अधिकारी ने इसे ‘‘सामूहिक हत्या का कारखाना’’ बताया। हालिया +972 रिपोर्ट में एक तीसरी प्रणाली का भी दावा किया गया है, जिसे व्हेयर इज डैडी? कहा जाता है, जो लैवेंडर द्वारा पहचाने गए लक्ष्यों की निगरानी करती है और जब वे अपने परिवार के पास घर लौटते हैं तो सेना को सचेत करती है।
चीन भी विकसित कर रहा एआई सिस्टम
कई देश सैन्य बढ़त की तलाश में एल्गोरिदम की ओर रुख कर रहे हैं। अमेरिकी सेना का प्रोजेक्ट मावेन एआई लक्ष्यीकरण की आपूर्ति करता है जिसका उपयोग मध्य पूर्व और यूक्रेन में किया गया है। चीन भी डेटा का विश्लेषण करने, लक्ष्यों का चयन करने और निर्णय लेने में सहायता के लिए एआई सिस्टम विकसित करने की ओर अग्रसर है। सैन्य एआई के समर्थकों का तर्क है कि यह तेजी से निर्णय लेने, अधिक सटीकता और युद्ध में हताहतों की संख्या को कम करने में मदद करेगा। वैसे पिछले साल, मिडिल ईस्ट आई ने बताया कि एक इजरायली खुफिया कार्यालय ने कहा कि गाजा में प्रत्येक एआई-जनित लक्ष्य की मानव समीक्षा करना ‘‘बिल्कुल भी संभव नहीं है’’। एक अन्य सूत्र ने +972 को बताया कि वे व्यक्तिगत रूप से ‘‘प्रत्येक लक्ष्य के लिए 20 सेकंड लगाएंगे’’ जो केवल अनुमोदन से ज्यादा और कुछ नहीं होगा। (द कन्वरसेशन)