ISIS in Africa: इस्लामिक स्टेट समूह मिडिल ईस्ट में ही नहीं, अब मिडिल ईस्ट के करीब में अफ्रीका महाद्वीप पर भी अपना प्रभाव जमाने की कोशिश में लगा हुआ है। यही कारण है कि अफ्रीका में इस्लामिक स्टेट समूह का खतरा बढ़ रहा है। खुद संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताते हुए यह बात कही है।
संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद रोधी कार्यालय के प्रमुख ने गुरुवार को कहा कि पश्चिम अफ्रीका और साहेल में राजनीतिक अस्थिरता के बीच चरमपंथी समूह इस्लामिक स्टेट एक बढ़ता हुआ खतरा बन गया है। व्लादिमीर वोरोन्कोव ने संयुक्त राष्ट्र के निष्कर्षों को दोहराया कि खतरे का मुकाबला करने में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद आईएस खासकर संघर्षरत क्षेत्रों में, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है।
वोरोन्कोव ने कहा कि समूह ने इराक और सीरिया के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया में अपने पूर्व गढ़ों में भी अभियान तेज कर दिया है। वोरोन्कोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि अफ्रीका महाद्वीप में स्थित साहेल क्षेत्र और पश्चिमी अफ्रीका की स्थिति खराब हो गई है और यह ‘‘अधिक जटिल होती जा रही है” क्योंकि स्थानीय जातीय व क्षेत्रीय विवाद चरमपंथी समूह के एजेंडे और संचालन के अनुकूल हैं।
2006 से बगदादी ने की थी शुरुआत
एक लंबी लड़ाई के बाद अमेरिका इराक को सद्दाम हुसैन के चंगुल से आजाद करा चुका था। पर इस आजादी को हासिल करने के दौरान इराक पूरी तरह बर्बाद हो चुका था। अमेरिकी सेना के इराक छोड़ते ही बहुत से छोटे-मोटे गुट अपनी ताकत की लड़ाई शुरू करने लगे। उन्हीं में से एक गुट का नेता था अबू बकर अल बगदादी, अल-कायदा इराक का चीफ। वो 2006 से ही इराक में अपनी जमीन तैयार करने में लगा था। इराक पर कब्जे के लिए तब तक उसने अल-कायदा इराक का नाम बदल कर नया नाम आईएसआई यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक रख लिया था। इसके बाद सीरिया में भी बगदादी ने गदर मचाया। हालांकि पहले चार साल तक सीरिया में भी बगदादी को कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली। अलबत्ता इस दौरान उसने एक बार फिर से अपने संगठन का नाम बदल दिया और इस बार नाम आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) यानी ISIS रखा।