Highlights
- ईरान में कुत्ते बिल्लियों को पालना हुआ गुनाह
- इस्लामी क्रांति के बाद बदले लोगों के विचार
- सरकार एक दशक से कानून पर कर रही चर्चा
Pets Banned in Iran: चाहे बात स्टेटस सिंबल की हो या फिर जानवरों के प्रति प्रेम की... अकसर हम लोगों को कुत्ते और बिल्लियों को पालते हुए देखते हैं। वो इन्हें अपने बच्चों की तरह मानते हैं। लेकिन क्या हो, अगर इन मासून जानवरों को अपने पास रखना ही अपराध घोषित हो जाए? ऐसा इस वक्त ईरान में देखने को मिल रहा है। यहां कोई अपने कुत्ते या बिल्ली को सड़क पर घुमाने तक नहीं लेकर जा सकता, अगर ऐसा किया तो पुलिस जेल में डाल सकती है। ईरान की राजधानी तेहरान में पालतू जानवरों को जब्त कर उनके मालिकों को गिरफ्तार करने के आदेश जारी किए गए हैं। यहां पुलिस ने हाल में ही ऐलान किया है कि पार्कों में कुत्तों को घुमाना अब अपराध है।
ये प्रतिबंध जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है। देश में इस मसले को लेकर महीनों से बहस चल रही है। इस बहस के बाद ईरान की संसद अब जल्द ही 'जानवरों के खिलाफ लोगों के अधिकारों के संरक्षण' नाम से एक विधेयक को मंजूरी देने वाली है। अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो देश में पालतू जानवरों जैसे कुत्ते और बिल्ली को घरों में रखना अपराध माना जाएगा। केवल इतना ही नहीं बल्कि लोगों पर भारी जुर्माना भी लगेगा। प्रस्तावित कानून में ऐसे प्रावधान हैं, जिनके अंतर्गत घर में अगर किसी को पालतू जावर रखना है, तो उन्हें इसी के लिए बनी विशेष समिति से परमिट लेना होगा।
कछुए-खरगोश रखना भी मना
वहीं कानून कहता है कि बिल्ली, कछुए और खरगोश जैसे जानवरों का आयात या खरीद बिक्री या कहीं लाना ले जाना या फिर घर पर रखना प्रतिबंधित है, अगर कोई ऐसा करता है, तो उसे न्यूनतम करीब 800 डॉलर का जुर्माना भरना पड़ेगा। हालांकि ईरान में सरकार के इस कदम का खूब विरोध भी हो रहा है। विरोध करने वालों में ईरानी वेटरनरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर पायम मोहेबी भी शामिल हैं। उनका कहना है कि विधेयक पर एक दशक पहले बहस शुरू हुई थी। तब सांसदों ने सभी कुत्तों को जब्त कर चिड़ियाघरों में देने या फिर उन्हें रेगिस्तान में छोड़ने के लिए कानून बनाने की कोशिश की थी।
मोहेबी का कहना है कि विधेयक में दो बार बदलाव हुए हैं। जिसमें कुत्ते के मालिक को शारीरिक दंड देना शामिल है। ईरान में पालतू जानवरों को लेकर बात करें, तो यहां हमेशा से ही कुत्तों को पालना एक आम बात रही है। लेकिन ऐसा पहले गांवों में हुआ करता था। लेकिन अब शहरों में भी ये चलन चल पड़ा है। ये लोगों की जीवनशैली का प्रतीक बन गया है। साल 1948 में ईरान ने बकायदा पशु कल्याण कानून बनाया था। सरकार ने पशुओं के अधिकारों पर ध्यान देते हुए देश की पहली संस्था बनाने की पहल की। यहां शाही खानदान तक के पास पालतू कुत्ते हैं।
इस्लामी क्रांति के बाद सब बदला
ईरान जैसा तब था, बाद में वैसा नहीं रहा। 1979 की ईस्लामी क्रांति ने सब बदलकर रख दिया। इन बदलावों की जद में न केवल इंसान बल्कि पशु भी आए। ऐसा कहा गया कि इस्लाम में जानवर अशुद्ध हैं। यही वजह है कि जब इस्लामी क्रांति के बाद नई सरकार बनी, तब उसने कुत्तों को भी पश्चिमीकरण का प्रतीक बताया। साथ ही इस प्रवृति पर रोक लगाने की कोशिशें तेज कर दी गईं। आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि ईरान की सरकार ने कुत्तों के लिए भी एक जेल बनाई है। जहां से जुड़ी कई डरावनी कहानियां लोगों ने सुनी हैं।
वहां कुत्तों को कई दिनों तक बिना खाना और पानी दिए रखा जाता है। इसके अलावा कुत्तों के मालिकों को भी कानूनी परेशानियों को झेलना पड़ता है। ईरान में आर्थिक प्रतिबंधों के चलते पश्चिमी देशों को लेकर बढ़ती नफरत भी इस विधेयक की सफलता का कारण बनी है। सरकार ने कम होते विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए तीन साल से अधिक समय के लिए पालतू जानवरों के भोजन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है।