Highlights
- ईरान में हिजाब पर विरोध प्रदर्शन जारी
- कुर्दों को निशाना बनी रही ईरान सरकार
- कुर्द इलाकों पर किए जा रहे हमले
Iran Kurds: ईरान में 22 साल की महासा अमीनी की मौत के विरोध में जारी प्रदर्शन को कुचलने के लिए सरकारी बलों ने देश के कुर्द क्षेत्रों में मंगलवार को अपनी कार्रवाई तेज कर दी। नैतिकता के नाम पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने महसा को पकड़ा था और हिरासत में ही उसकी मौत हो गई थी। दंगा रोधी पुलिस ने ईरान के कुर्दिस्तान प्रांत की राजधानी सानंदाज में गोलीबारी की है। वहीं एमनेस्टी इंटरनेशनल और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने महसा अमीनी की मौत के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को निशाना बनाने के लिए ईरान की निंदा की।
इस बीच, तेल कंपनियों में काम करने वाले कुछ लोगों ने भी सोमवार को दो प्रमुख रिफाइनरी परिसरों में विरोध-प्रदर्शन किया है। ईरान की सरकार ने लगातार यह दावा किया है कि अमीनी के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया, जबकि उनके परिवार का कहना है कि उनके शरीर पर चोट और पिटाई के निशान थे। अमीनी को हिजाब सही तरीके से न पहनने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। अमीनी की मौत के बाद ईरान में प्रदर्शन शुरू हुए। इस बीच दुनिया में लगभग सभी के जहन में ये सवाल उठा रहा है कि हिजाब का विरोध तो कई शहरों में हो रहा है। तो फिर सरकार कुर्दों को ही निशाना क्यों बना रही है?
कुर्दों के खिलाफ की कार्रवाई क्यों?
अल्पसंख्यक कुर्द मुख्य रूप से शिया बहुल देश ईरान में रहने वाले सुन्नी मुसलमान हैं। जो फारसी से जुड़ी भाषा बोलते हैं और ज्यादातर आर्मेनिया, इराक, ईरान, सीरिया और तुर्की की सीमाओं पर फैले पहाड़ी क्षेत्रों नें रहते हैं। कुर्द राष्ट्रवाद 1890 के दशक में तब फैला, जब ऑटोमन साम्राज्य अपने अंतिम चरण में था। 1920 की सेव्रेस की संधि के तहत कुर्दों को स्वतंत्रता देने का वादा किया गया था। पहले विश्व युद्ध के खत्म होने और ऑटोमन साम्राज्य की हार के बाद जीतने वाले पश्चिमी देशों ने कुर्दिस्तान के गठन के लिए ये संधि की थी। लेकिन तीन साल बाद ही तुर्की के नेता कमाल अतातुर्क ने उस समझौते को तोड़ दिया।
इसके बाद 1924 में लॉजेन की संधि हुई, जिसमें कुर्दों को मध्य पूर्व के नए देशों में विभाजित कर दिया गया। आधुनिक तुर्की की सीमाओं को निर्धारित करने वाली इस संधि में कुर्द राज्य के लिए कोई प्रावधान ही नहीं था। कुर्दों को चार देशों तुर्की, सीरिया, इराक और ईरान में बांट दिया गया। ये लोग आज भी अपने लिए अलग देश की मांग कर रहे हैं। जिसके हिस्से मध्य पूर्व के चार देशों में बंटे हुए हैं।
कुर्दों की आबादी 2.5 करोड़ से लेकर 3.5 करोड़ तक है। ये मध्य पूर्व का चौथा सबसे बड़ा जातीय समूह भी कहा जाता है। कुर्दिश लोगों में वैसे तो ज्यादातर सुन्नी मुस्लिम हैं। लेकिन इनमें ईसाई, यहूदी और पारसी धर्मों का पालन करने वाले लोग भी शामिल हैं। इन्हें दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा जातीय समूह भी माना जाता है, जिनका खुद का कोई देश नहीं है। तुर्की में इनकी आबादी 18 से 25 फीसदी, इराक में 15 से 20 फीसदी, ईरान में 10 फीसदी और सीरिया में 9 फीसदी है। महासा अमीनी भी कुर्द इलाके की ही रहने वाली थीं।
महिलाओं के साथ मारपीट कर रहे सुरक्षा बल
प्रदर्शन के सामने आए कुछ वीडियो में सुरक्षा बलों द्वारा महिला प्रदर्शनकारियों को पीटते और धक्का देते हुए देखा जा सकता है। इनमें वे महिलाएं भी शामिल हैं जिन्होंने अपना हिजाब उतार दिया था। ईरान में हिजाब पहनना अनिवार्य है। अधिकारियों के इंटरनेट पर रोक लगाने के बावजूद राजधानी तेहरान और अन्य जगहों के वीडियो ऑनलाइन प्रसारित हो रहे हैं। सोमवार को एक वीडियो में विश्वविद्यालय और हाई स्कूल के छात्रों को प्रदर्शन और नारेबाजी करते हुए देखा गया। कुछ महिलाएं व लड़कियां बिना सिर ढके सड़कों पर मार्च करती नजर आईं।
ईरान 2009 के ‘हरित आंदोलन’ के बाद से इन प्रदर्शनों के जरिए ईरान के धर्मतंत्र के खिलाफ सबसे बड़ी चुनौती पेश की गई है। न्यूयॉर्क स्थित ‘सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स’ ने एक वीडियो साझा किया जिसमें सानंदाज में सुरक्षा बल के कर्मी मोटरसाइकिल पर चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं। सेंटर ने कहा, ‘उन्होंने बहरान में कथित तौर पर कई गाड़ियों के शीशे भी तोड़े।’ एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी ईरानी सुरक्षा बलों के ‘आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल करने और यहां तक कि मकानों में भी अंधाधुंध आंसू गैस के गोले दागने ’ की निंदा की है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी ईरानी बलों की कार्रवाई की निंदा की और कहा , ‘ईरान में जो कुछ भी हो रहा है, उसे दुनिया देख रही है।’ वहीं ईरान ने सानंदाज में नए सिरे से की गई कार्रवाई के संबंध में अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि ईरान के विदेश मंत्रालय ने पुलिस की कार्रवाई को लेकर ब्रिटेन द्वारा उसके देश के कुछ लोगों पर प्रतिबंध लगाने के बाद, ब्रिटेन के राजदूत को तलब किया है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने प्रतिबंध को ‘मनमाना और निराधार’ करार दिया और इसके जवाब में ब्रिटेन के खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी भी दी।