Thursday, November 21, 2024
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PM मोदी के नए "एजुकेशन मॉडल" की एशिया तक चर्चा, ADB ने पाकिस्तान को दी भारतीय शिक्षा प्रणाली अपनाने की सलाह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भारत में लागू "उल्लास" शिक्षा योजना की एशिया तक चर्चा है। एशियन विकास बैंक भारत की इस शिक्षा प्रणाली पर फिदा हो गया है। साथ ही पाकिस्तान को भी अपने देश में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए भारत का मॉडल अपनाने की सालह दी है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: September 15, 2024 16:21 IST
प्रतीकात्मक फोटो। - India TV Hindi
Image Source : AP प्रतीकात्मक फोटो।

इस्लामाबादः भारतीय शिक्षा प्रणाली का एशिया तक डंका बज रहा है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी भारत की मौजूदा शिक्षा प्रणाली की जमकर सराहना की है। इतना ही नहीं, एडीबी ने शिक्षा के हालात बेहतर करने के लिए पाकिस्तान को भी भारत की शिक्षा प्रणाली अपने की सलाह दी है। बता दें कि पीएम मोदी ने "उल्लास" नाम से शिक्षा का नया मॉडल पेश किया था। एडीबी ने पाकिस्तान को कहा है कि उसे खराब शिक्षा प्रणाली को सुधारने और अपने नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारत की योजना ‘उल्लास’ को अपनाना चाहिए। 

बता दें कि समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा की समझ (उल्लास) को भारत सरकार द्वारा पिछले वर्ष जुलाई में निरक्षरों और औपचारिक स्कूली शिक्षा से वंचित वयस्कों की सहायता के लिए शुरू किया गया था। समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, मनीला आधारित एडीबी ने यह टिप्पणी पाकिस्तान द्वारा अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने तथा स्कूल न जाने वाले सभी बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता का अनुरोध किए जाने के जवाब में की है। एडीबी ने सिफारिश की है कि सरकार एक रणनीतिक और बहु-हितधारक दृष्टिकोण अपनाए तथा भारत सरकार की नयी केन्द्र प्रायोजित ‘उल्लास’ जैसी योजनाओं को लागू करे।

पीएम मोदी ने दी थी नए एजुकेशन मॉडल को मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘‘सभी के लिए शिक्षा’’ के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए पांच वर्ष की अवधि के लिए नयी केन्द्र प्रायोजित योजना ‘उल्लास’ को मंजूरी दी थी। भारतीय ‘उल्लास’ योजना का लक्ष्य न केवल बुनियादी साक्षरता उपलब्ध कराना है, बल्कि इसमें 21वीं सदी के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण जीवन कौशल भी शामिल हैं। इन कौशलों में वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल, स्वास्थ्य सेवा जागरूकता, बाल देखभाल और शिक्षा तथा परिवार कल्याण शामिल हैं। पाकिस्तान के योजना आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की शिक्षा प्रणाली ठीक नहीं है। इस्लामाबाद को छोड़कर, सभी 134 जिले शिक्षण परिणामों से लेकर सार्वजनिक वित्तपोषण तक के संकेतकों में पिछड़ रहे हैं। (भाषा) 

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