संयुक्त राष्ट्र: भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उस मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें कहा गया है कि फलस्तीन इस वैश्विक संस्था का पूर्ण सदस्य बनने के योग्य है और उसे सदस्यता दी जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा के विशेष सत्र की सुबह आपातकालीन बैठक हुई, जहां मई महीने के लिए महासभा के अध्यक्ष संयुक्त अरब अमीरात ने वैश्विक संस्था में फलस्तीन की पूर्ण सदस्यता के समर्थन में अरब समूह का प्रस्ताव 'संयुक्त राष्ट्र में नए सदस्यों का प्रवेश' प्रस्तुत किया।
143 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में किया मतदान
भारत समेत 143 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, विरोध में 9 वोट पड़े जबकि 25 सदस्य अनुपस्थित रहे। मतदान के बाद यूएनजीए भवन तालियों से गूंज उठा। प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 4 के अनुसार "फलस्तीन संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए योग्य है" और "इसलिए उसे सदस्यता दी जानी चाहिए।”
भारत ने कही थी यह बात
बता दें कि, मई महीने की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता के लिए फलस्तीन के आवेदन को यूएनएससी में वीटो के कारण सुरक्षा परिषद द्वारा मंजूरी नहीं दी गई थी। कंबोज ने कहा था, "मैं यहां सबसे पहले बताना चाहूंगी कि भारत की लंबे समय से चली आ रही स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हमें उम्मीद है कि उचित समय पर इस पर पुनर्विचार किया जाएगा और संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के फलस्तीन के प्रयास को समर्थन मिलेगा।''
फलस्तीन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को लिखा था पत्र
गौरतलब है कि, अप्रैल में फलस्तीन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को एक पत्र भेजकर अनुरोध किया था कि संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता के लिए उसके आवेदन पर फिर से विचार किया जाए। किसी राज्य को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता प्रदान करने के लिए उसके आवेदन को सुरक्षा परिषद और महासभा दोनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए, जहां राज्य को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल करने के लिए उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत और मतदान की आवश्यकता होती है। पिछले महीने, अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता प्रदान करने के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया था।
जानें वर्तमान स्थिति
वर्तमान में फलस्तीन संयुक्त राष्ट्र में एक "गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राज्य" है, यह दर्जा उसे 2012 में महासभा द्वारा दिया गया था। यह दर्जा फलिस्तीन को विश्व निकाय की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देता है लेकिन वह प्रस्तावों पर मतदान नहीं कर सकता है। (भाषा)
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