Highlights
- दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन स्वरूप के दो नए उप-स्वरूपों का पता लगाया है।
- नए सब-वेरिंट्स की वजह से साउथ अफ्रीका में मामलों की संख्या में बड़ी बढ़ोत्तरी नहीं दिखी है।
- नए सब-वेरिंट्स से अस्पतालों में भर्ती होने या मौत के मामलों में कोई अहम बढ़ोतरी नहीं दिखी है।
जोहानिसबर्ग: कोरोना वायरस ने पिछले 2 सालों में दुनिया के कई देशों को बर्बाद कर दिया है या बर्बादी के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है, लेकिन अभी भी इससे छुटकारा मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। दुनिया में पहली बार सामने आने के बाद कोविड के कई वेरिएंट्स और सब-वेरिएंट्स आ चुके हैं, और यह सिलसिला अभी भी बदस्तूर जारी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के कारक सार्स-सीओवी-2 के ओमिक्रॉन स्वरूप के दो नए उप-स्वरूपों (सब-वेरिएंट्स) का पता लगाया है।
‘साउथ अफ्रीका में संक्रमण में वृद्धि नहीं’
दक्षिण अफ्रीका के सेंटर फॉर एपिडेमिक रिस्पॉन्स ऐंड इनोवेशन में निदेशक ट्यूलियो डी. ओलिवेरा के अनुसार, वंशावली को बीए.4 और बीए.5 नाम दिया गया है। उन्होंने कहा कि इनका पता चलना डर की कोई वजह नहीं है और महामारी विज्ञान पर इस के उद्भव के प्रभाव का आकलन करना जल्दबाजी होगी। एक के बाद एक कई ट्वीट्स में डी. ओलिवेरा ने कहा कि वंशावली ने साउथ अफ्रीका में संक्रमण में वृद्धि नहीं की है और कई देशों में लिए गए नमूनों में इनकी मौजूदगी मिली है।
‘चिंता का कोई कारण नहीं है’
हालांकि राहत की बात है कि नए सब-वेरिंट्स की वजह से साउथ अफ्रीका में मामलों की संख्या में बड़ी बढ़ोत्तरी नहीं दिखी है। डी. ओलिवेरा ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘साउथ अफ्रीका, बोत्सवाना, बेल्जियम, जर्मनी, डेनमार्क और ब्रिटेन में नए ओमिक्रॉन बीए.4 और बीए.5 का पता चला है। शुरुआती संकेत हैं कि ये नई उप-रेखाएं दक्षिण अफ्रीका में जीनोमिक रूप से पुष्टि किए गए मामलों के हिस्से के रूप में बढ़ रही हैं। चिंता का कोई कारण नहीं है।’
‘मौत के मामलों में कोई अहम बढ़ोतरी नहीं’
डी. ओलिवेरा ने कहा, ‘दक्षिण अफ्रीका में मामलों, अस्पतालों में भर्ती होने या मौत के मामलों में कोई अहम बढ़ोतरी नहीं दिखी है। जीनोम के प्रतिशत में वृद्धि के बावजूद, बीए.4 और बीए.5 साउथ अफ्रीका में संक्रमण में वृद्धि नहीं कर रहे हैं। अस्पताल में भर्ती होने और मौतों के संबंध में भी यही देखा जा रहा है, जो साउथ अफ्रीका में रिकॉर्ड स्तर पर कम है।’