Saturday, September 21, 2024
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एयरस्ट्राइक में नहीं मारा गया हमास चीफ, इस्माइल हनियेह के घर में 2 महीने पहले ही फिट कर दिया गया था बम!

हमास चीफ इस्माइल हानिया उर्फ इस्माइल हनियेह एयरस्ट्राइक में नहीं मारा गया है। अमेरिकी अखबार ने इस्माइल हानिया को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार हनियेह के कमरे में 2 महीने पहले ही बम फिट कर दिया गया था।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: August 02, 2024 16:04 IST
इस्माइल हनियेह (फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : AP इस्माइल हनियेह (फाइल फोटो)

वाशिंगटनः हमास चीफ इस्माइल हनियेह उर्फ इस्माइल हानिया एयरस्ट्राइक में नहीं मारा गया है। अभी तक तेहरान में तथाकथित रूप से इजरायली एयरस्ट्राइक में उसके मारे जाने का दावा किया जा रहा था। मगर अब न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक चौंकाने वाला खुलासा करके सबको हैरान कर दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अमेरिका और मध्य-पूर्व के कई अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत 2 महीने से तेहरान के पॉश इलाके में इंतजार कर रही थी। इस्माइल हनियेह और उसके अंगरक्षक जैसे ही वहां पहुंचे, वह दोनों मारे गए। अमेरिकी अखबार के अनुसार इस्माइल हानिया के घर में 2 महीने पहले ही बम फिट कर दिया गया था। 

हालांकि अखबार ने ये नहीं बताया है कि ये बम किसने फिट किया था। मगर ईरान पहले ही इसके लिए इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद पर आरोप लगा चुका है। ईरान के अनुसार मोसाद की जासूसी पर इजरायली एयरस्ट्राइक में हनियेह को मारा गया। हमास के अनुसार "तेहरान में हनियेह के आवास पर यह विश्वासघाती ज़ायोनी हमला" था। 

छिपाकर लगाया गया था रिमोट बम

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार तेहरान स्थित हानिया के घर में मौत दो महीने से अधिक समय तक हमास प्रमुख का इंतजार कर रही थी। ईरान के जिस गेस्टहाउस में उसके आने की उम्मीद थी, वहां गुप्त रूप से 2 महीने पहले ही एक बम छिपाकर लगा दिया गया था। गेस्टहाउस एक बड़े परिसर के अंदर था, जिसका उपयोग ईरान के रिव्योल्यूशनरी गार्ड (आईआरजीसी) द्वारा अपनी गुप्त बैठकों और महत्वपूर्ण मेहमानों के आवास के लिए किया जाता था। हमास के शीर्ष वार्ताकार हनियेह ने कतर में अपने राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। बाद में वह ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए तेहरान पहुंचा था।

कमरे में हानिया के होने की पुष्टि के बाद किया विस्फोट

अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार सुबह जब इस बात की पुष्टि हो गई कि इस्माइल हानिया गेस्टहाउस में अपने कमरे में मौजूद है तो हत्यारों ने रिमोट से बम विस्फोट कर दिया। विस्फोट इतना अधिक ताकतवर था कि धमाके से पूरी इमारत हिल गई। उसका कई हिस्सा ढह गया और खिड़कियां टूट गईं। इस विस्फोट में हनियेह और उसका अंगरक्षक मारा गया। हमास प्रमुख की हत्या के बाद अब इजरायल हमास युद्ध समाप्त करने के लिए शांति वार्ता बाधित होने और हिंसा की एक और लहर शुरू होने का खतरा पैदा हो गया है। हालांकि अभी तक इजरायल ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली 

बाद में ईरानी अधिकारियों ने भी माना कि कमरे के अंदर हुआ विस्फोट

पहले मिसाइल हमले की आशंका थी। मगर बाद में ईरानी अधिकारियों ने भी मान लिया कि विस्फोट इस्माइल हानिया के कमरे के अंदर ही हुआ था। बम को किसी तरह छिपा कर रखा गया था। मगर ईरानी सुरक्षा एजेंसी इस बात से हैरान हैं कि इतने अधिक समय तक इसे कैसे छुपाने में हत्यारे कामयाब रहे। ईरान से कहां चूक हुई जिससे दुश्मनों ने हानिया के कमरे में बम फिट कर दिया। पहले यह दावा किया जा रहा था कि इजरायली मिसाइल ने ईरानी राजधानी में वायु रक्षा प्रणालियों को चकमा दे दिया। मगर क्षति इतनी न्यूनतम थी कि वह मिसाइल हमले से होने वाली क्षति से बहुत कम थी। 

बम लगाने से पहले की गई थी रैकी

मध्य पूर्वी अधिकारियों के अनुसार, योजना बनाने में महीनों लग गए और परिसर की विस्तृत निगरानी की गई थी। योजना इतनी सटीक थी कि अगला कमरे में फ़िलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद नेता ज़ियाद अल-नखला मौजूद था। मगर वह उतना बुरी तरह घायल नहीं हुआ। इस हत्या से ईरानी अधिकारियों को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। वे अभी तक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि बम कैसे और कब लगाए गए थे। परिसर में मौजूद एक मेडिकल टीम ने हनियेह को मृत घोषित कर दिया। वे अंगरक्षक को भी पुनर्जीवित करने में विफल रहे। 

मोसाद ने खाई थी कसम

इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद को मुख्य रूप से देश के बाहर हत्याओं का काम सौंपा गया है। मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया ने 7 अक्टूबर के हमलों के बाद हमास नेताओं को खत्म करने की कसम खाई थी। उन्होंने कहा था कि फ़िलिस्तीनी नेताओं तक पहुंचने में समय लगेगा, जैसा कि म्यूनिख नरसंहार के बाद लगा था। मगर उनका खात्मा करके ही मानेंगे। इससे पहले भी मोसाद ने 1972 में बार्निया म्यूनिख ओलंपिक में फिलिस्तीनी गुर्गों द्वारा 11 इजरायली एथलीटों की हत्याओं का बदला लेने के लिए 'ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड' गुप्त चलाया था। जिसका कोडनेम बेयोनेट था। यह बेहद सफल रहा था। 

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