Thursday, November 21, 2024
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दुनिया में पहली बार बिना "तेल" के लंदन से न्यूयॉर्क तक उड़ी फ्लाइट, जानें कैसे संभव हो पाया ये करिश्मा

विश्व में पहली बार लंदन से न्यूयॉर्क तक एक फ्लाइट ने बिना तेल के उड़ान भरकर सबको हैरान कर दिया है। वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को साकार करते हुए वर्जिन नामक यह फ्लाइट बिना जीवाश्म ईंधन के संचालित होने वाली पहली वाणिज्यिक फ्लाइट है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: November 29, 2023 18:23 IST
बिना जीवाश्म ईंधन वर्जिन ने भरी लंदन से न्यूयॉर्क की उड़ान।- India TV Hindi
Image Source : AP बिना जीवाश्म ईंधन वर्जिन ने भरी लंदन से न्यूयॉर्क की उड़ान।

वैज्ञानिकों ने दुनिया में पहली बार विमान को बिना तेल यानि बगैर जीवाश्म ईंधन के उड़ान भरकर सबको चौंका दिया है। दुनिया में पहली बार एक विमान ने लंदन से न्यूयॉर्क तक बिना फ्यूल के उड़ान भरकर नई क्रांति ला दी है। यह विमान पूरी तरह से उच्च-वसा एवं कम उत्सर्जन वाले ईंधन से संचालित था। यह पहला ऐसा वाणिज्यिक विमान है जिसने मंगलवार को लंदन से न्यूयार्क तक की दूरी बगैर जीवाश्म ईंधन के तय करके ऐतिहासिक उड़ान भरी। इस दौरान इसने अटलांटिक महासागर को पार किया, जिसे ‘जेट ज़ीरो’ की संज्ञा दी जा रही है।
 
विमानन कंपनी ‘वर्जिन अटलांटिक’ के बोइंग-787 विमान को जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल किए बिना संचालित किया गया। इस उड़ान के लिए इस्तेमाल विमानन ईंधन अपशिष्ट वसा से बना था। वर्जिन के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन ने कहा, ‘‘जब तक आप कुछ खास नहीं करते, दुनिया हमेशा यह मान कर चलती है कि ऐसा कुछ किया ही नहीं जा सकता।’’ ब्रैनसन खुद कॉर्पोरेट और सरकारी अधिकारियों, इंजीनियरों और पत्रकारों सहित अन्य लोगों के साथ विमान में सवार थे।
 
ब्रिटेन ने दिए 10 लाख पाउंड
ब्रिटेन के परिवहन विभाग ने उड़ान की योजना बनाने और संचालित करने के लिए 10 लाख पाउंड (12.7 लाख अमेरिकी डॉलर) दिए हैं। विभाग ने हवाई यात्रा को पर्यावरण के अधिक अनुकूल बनाने के लिए परीक्षण को ‘जेट शून्य की दिशा में एक बड़ा कदम’ करार दिया। हालांकि व्यापक रूप से इस तरह के ईंधन उत्पादन में अब भी कई बाधाएं हैं। अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने कहा कि सतत विमानन ईंधन अंतरराष्ट्रीय विमानन उद्योग के लिए 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य (‘नेट जीरो’) प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को लगभग 70 प्रतिशत तक कम करता है। हालांकि उसने लक्ष्य को महत्वकांक्षी करार दिया। (एपी) 
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