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गाजा पर सऊदी अरब में होने जा रहा पहला शिखर सम्मेलन, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के अलावा जानें कौन होगा शामिल?

गाजा पर हो रहे इजरायली हमले के खिलाफ पहली बार एक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया है। हालांकि इस शिखर सम्मेलन में ईरान और सऊदी अरब ही शामिल हो रहे हैं। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने गाजा में संघर्ष विराम नहीं होने देने कि लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है। ईरान इस वक्त सऊदी से अपने रिश्ते सामान्य करने में जुटा है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: November 11, 2023 17:37 IST
इब्राहिम रईसी, ईरान के राष्ट्रपति। - India TV Hindi
Image Source : AP इब्राहिम रईसी, ईरान के राष्ट्रपति।

गाजा में इजरायली हमले को लेकर पहली बार सऊदी अरब में शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी शनिवार (11 नवंबर) को इसमें हिस्सा लेने पहुंच गए हैं। राज्य-संबद्ध मीडिया ने बताया कि मार्च में ईरान अरब के बीच संबंध बहाल करने पर सहमति के बाद यह उनकी पहली यात्रा थी। अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की आपातकालीन बैठक 7 अक्टूबर को हमास के हमलों के बाद हुई है, जिसमें इजरायली अधिकारियों का कहना है कि लगभग 1,200 लोग मारे गए और 240 लोगों को बंधक बना लिया गया। वहीं हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इजरायल के हवाई और जमीनी हमले में 11,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर नागरिक और बच्चे शामिल हैं।

गाजा में लगातार इजरायली हमले से हो रही तबाही को देखते हुए मध्य पूर्व के नेताओं ने अन्य देशों में संघर्ष के खतरों की चेतावनी देते हुए युद्धविराम का आह्वान किया है। रईसी ने शनिवार को इस खतरे के इजरायल के प्रति लिए वाशिंगटन के कट्टर समर्थन को जिम्मेदार ठहराया है। बता दें कि अमेरिका ने हमास आतंकियों पर कार्रवाई का न सिर्फ समर्थन किया है, बल्कि इजरायल को बड़ी रक्षा सहायता भी दी है। रियाद के लिए प्रस्थान करने से पहले ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि गाजा में युद्ध मशीन अमेरिका की है।

युद्ध का बढ़ रहा दायरा

इब्राहिम रईसी ने कहा कि अमेरिका ने गाजा में युद्धविराम नहीं होने दिया। इस वजह से युद्ध का दायरा बढ़ा है।'' अल-एखबरिया चैनल पर प्रसारित फुटेज में रईसी को अपने विमान से उतरने के बाद हवाई अड्डे पर सऊदी अधिकारियों का अभिवादन करते हुए दिखाया गया है। वह पारंपरिक फिलिस्तीनी केफियेह स्कार्फ पहने हुए थे। बता दें कि रियाद द्वारा शिया मौलवी निम्र अल-निम्र को फांसी दिए जाने पर विरोध प्रदर्शन के दौरान ईरान में सऊदी राजनयिक मिशनों पर हमला किए जाने के बाद सुन्नी-बहुल सऊदी अरब और शिया-बहुमत ईरान ने 2016 में संबंध तोड़ दिए थे। लेकिन मार्च में, चीन की मध्यस्थता में हुए एक समझौते के बाद लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी राजनयिक संबंधों को बहाल करने और अपने-अपने दूतावासों को फिर से खोलने पर सहमत हुए हैं।

ईरान और सऊदी अरब ने वर्षों से पूरे मध्य पूर्व में संघर्ष क्षेत्रों में विरोधी पक्षों का समर्थन किया है, जिसमें यमन भी शामिल है, जहां 2015 में रियाद ने ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन जुटाया था और जिन्होंने पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को गिरा दिया था।

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