ईरान अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण पहले सी तमाम दिक्कतों का सामना कर रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है। लेकिन अब ईरान के और भी बुरे दिन आ सकते हैं। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के लिए ईरान सरकार की शनिवार को कड़ी निंदा की और कहा कि जर्मनी ‘‘ईरानी लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर’’ खड़ा है। शोल्ज ने कहा कि ईरानी पुलिस की हिरासत में 16 सितंबर को 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत के बाद शुरू हुए प्रदर्शन अब ‘‘केवल ड्रेस कोड का सवाल’’ नहीं रहे हैं, बल्कि स्वतंत्रता एवं न्याय की लड़ाई में बदल गए हैं।
पुलिस हिरासत में अमीनी की मौत के बाद ईरान में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। महिलाओं के लिए ईरान में सख्त ड्रेस कोड का कथित रूप से उल्लंघन करने के आरोप में अमीनी को हिरासत में लिया गया था। शुरुआत में विरोध प्रदर्शन ईरान में हिजाब पहनने की अनिवार्यता पर केंद्रित थे, लेकिन बाद में प्रदर्शनों का सिलसिला बढ़ता गया और ये 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद सत्तारूढ़ शासकों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक में बदल गए हैं।
प्रदर्शनों को लेकर की तारीफ
शोल्ज ने अपने साप्ताहिक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘हमारे लिए इस बात की कल्पना भी मुश्किल है कि ऐसा (प्रदर्शन) करने के लिए कितने साहस की आवश्यकता है। प्रदर्शनों में 300 से अधिक मारे गए, दर्जनों को मौत की सजा दी गई और 14,000 से अधिक गिरफ्तारियां की गई। जो लोग ईरान में उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, वे अपनी और अपने प्रियजन की जान अक्सर जोखिम में डालते हैं और जेल में दशकों की सजा एवं यातना सहने की आशंका बनी रहती है।’’
हिंसा के लिए ईरान की सरकार को ठहराया जिम्मेदार
उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के लिए ईरान सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार बताया। शोल्ज ने कहा कि ईरान को उसकी क्रूर कार्रवाई और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल के लिए रूस को सैकड़ों ड्रोन भेजने के उसके फैसले के लिए अतिरिक्त प्रतिबंध झेलने होंगे। यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों के सोमवार को बैठक में अतिरिक्त प्रतिबंधों पर सहमत होने की संभावना है।