Tuesday, November 05, 2024
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दुनिया में कहीं भी छुपा हो दुश्मन, मगर MOSSAD से बचना है मुश्किल; हानिया की हत्या और पेजर ब्लास्ट हैं ताजा उदाहरण

मोसाद अपने दुश्मनों को उनके घर में घुसकर मारता है। इस खुफिया एजेंसी की नजर से आजतक कोई भी दुश्मन बच नहीं पाया है। इसने कई दूसरे देशों में घुसकर बड़े-बड़े खुफिया ऑपरेशंस को अंजाम दिए हैं। मोसाद को किलिंग मशीन के नाम से भी जाना जाता है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: September 18, 2024 9:26 IST
मोसाद और इजरायली सेना। - India TV Hindi
Image Source : AP मोसाद और इजरायली सेना।

येरूशलमः इजरायल की खुफिया एजेंंसी मोसाद का नाम सुनते ही दुश्मन कांप उठते हैं। दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसियों में शुमार मोसाद अपने दुश्मनों को उनके घर में घुसकर मारने में माहिर है। फिर दुश्मन दुनिया में कहीं भी और किसी भी कोने में छुपा हो, मगर मोसाद की नजरों से बच पाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव है। लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकियों को मारने के लिए किया गया पेजर्स ब्लास्ट और ईरान में हमास चीफ इस्माइल हानिया की बेहद सुनियोजित ढंग से की गई हत्या इसके ताजा उदाहरण हैं। इन दोनों ही घटनाओं में इजरायल की खुफिया एजेंंसी मोसाद पर आरोप लगे। यह बात अलग है कि इजरायल ने अपनी तरफ से इन घटनाओं को अंजाम देने की पुष्टि अपनी तरफ से नहीं की।

मगर मोसाद का दूसरा नाम दुश्मन की मौत कहा जाता है। वजह है कि यह दुश्मनों पर कोई रहमियत नहीं दिखाता, बल्कि उनके घर में घुसकर मारता है। मोसाद ही है, जिसने जर्रे-जर्रे में छुपे हमास आतंकियों को चुन-चुन कर मारा है। फिर चाहे वह सुरंग में छुपे रहे हों या फिर कहीं और, लेकिन मोसाद की नजरों से खुद को बचा नहीं सके। आज पूरे लेबनान में मोसाद ने उस पेजर में ब्लास्ट करके हड़कंप मचा दिया है, जिसे हिजबुल्ला आतंकियों के लिए बेहद सुरक्षित माना जाता था। मोसाद की नजरों से बचने के लिए ही हिजबुल्ला के आतंकी मोबाइल की जगह पेजर्स का इस्तेमाल करते थे। ताकि वह ट्रैस नहीं हो सकें। मगर कहा जाता है कि मोसाद की नजरों से मौत भी अपना पीछा नहीं छुड़ा सकती। आइये अब आपको मोसाद की स्थापना की कहानी और इसके बारे में बहुत कुछ बताते हैं। 

कब बना मोसाद

मोसाद खुफिया एजेंसी की स्थापना 13 दिंसबर 1949 में हुई। यह इजरायल के केंद्रीय खुफिया जांच एजेंसी है। तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन ने इसकी स्थापना सुरक्षा सेवाओं और खुफिया सैन्य विभाग के बीच समन्वय के लिए किया था। बाद में 1951 में इस एजेंसी का पुनर्गठन हुआ और यह प्रधानमंत्री कार्यालय का हिस्सा बन गई। मोसाद को "किलिंग मशीन" के नाम से भी जाना जाता है। इसने दुनिया भर में कई बड़े खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दिया है। इसका नाम सुनते ही दुश्मनों की रूह कांप उठती है। मोसाद ने बेल्जियम से लेकर इटली, उरुग्वे, दुबई, सीरिया और यूगांडा जैसे देशों में बड़े खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दिया है। 

मोसाद के विशेष खुफिया ऑपरेशन

रेथ ऑफ गॉड

यह मोसाद का विशेष खुफिया ऑपरेशन था, जो 20 वर्षों तक चला। इसका मकसद म्यूनिख हत्याकांड में शामिल सभी आतंकियों को चुन-चुन कर मारना था। इसके निशाने पर ब्लैक सेप्टेंबर और फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) के आतंकी थे। 

ऑपरेशन बेल्जियम और उरुग्वे

मोसाद ने कनाडा के इंजीनियर को बेल्जियम में ढूंढ़कर बहुत बेरहमी से मारा था। यह इंजीनियर इजरायल के खिलाफ कई आतंकी षडयंत्र रचने में शामिल था। इस हत्या से कनाडा बिलबिला उठा था। इसी तरह उरुग्वे में अपने एक दुश्मन को मारने के लिए मोसाद ने 1965 में लातवियाई नाजी के सहयोगी ह्रर्ब चुकरुस की बड़े ही सुनियोजित तरीके से हत्या कर दी। 

ऑपरेशन इटली

इजरायल के परमाणु कार्यक्रम को लीक करने वाले मोरदीची वुनुनु को इटली से जिंदा पकड़कर येरूशलम लाने का निर्देश था। यह काम बेहद मुश्किल था। मगर मोसाद की महिला एजेंट ने उसे हनीट्रैप में फंसाकर यह काम पूरा ही कर दिया। यह घटना 1968 की है। 

ऑपरेशन सीरिया

मोसाद ने सीरिया में अपने दुश्मनों को खत्म करने के लिए वहां की सेना और अन्य विभागों की खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए बेहद गुप्त ऑपरेशन चलाया। इसके लिए अपने एजेंट एली कोहोन को भेजा, जो वहां का व्यापारी बन गया और अर्जेंटीन की राजधानी ब्यूनस ऑयर्स में अच्छी जान-पहचान बनाकर आना-जाना शुरू कर दिया। इसकी मदद से इजरायल ने सीरिया में तमाम खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दिया। 

युगांडा का थंडरबोल्ट ऑपरेशन

मोसाद ने 106 यात्रियों से भरे जहाज के हाईजैक होने पर यह ऑपरेशन चलाया था। फ्रांस के इस जहाज को 4 आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था। आतंकी इस जहाज को यूगांडा ले गए, जहां का तत्कालीन तानाशाह ईदी अमीन आतंकियों को समर्थक था। मगर मोसाद की विशेष कमांडों फोर्स ने ऑपरेशन थंडरबोल्ट चलाया और यूगांडा पहुंचकर सबसे जटिल ऑपरेशन को अंजाम देते हुए यहूदी यात्रियों को वापस लाने में सफलता हासिल की। इस दौरान मौजूदा पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के भाई कोलोनेल योनाथन नेतन्याहू शहीद हो गए थे। यह दुनिया के खतरनाक ऑपरेशन में गिना जाता है। 

ऑपरेशन दुबई

हमास आतंकियों के लिए हथियार उपलब्ध कराने वाला महमूद अल मबूह मोसाद के निशाने पर था। वह दुबई में छुपा था। वर्ष 2010 में मोसाद ने 19 जनवरी को दुबई के अलबुस्तान रोताना में इतने सीक्रेट तरीके से महमूद अल मबूह की हत्या कर दी कि दुबई पुलिस 10 दिन तक यह सुनिश्चित नहीं कर पाई कि यह हत्या या आत्महत्या में क्या है? बाद में पता चला कि मोसाद के एजेंट ने इस पैरालिसिस फैलाने वाला एक इंजेक्शन दिया था। इसके बाद तकिये से सफोकेट करके उसे मार दिया था। इस तरह दुनिया भर में कई बड़े खुफिया ऑपरेशन को मोसाद अंजाम देकर दुश्मनों का खौफ बन चुका है। 

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