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करोड़ों साल पहले पृथ्वी के पास भी रहा होगा शनि ग्रह की तरह छल्ला, अब सुलझ सकती हैं कई पहेलियां

पृथ्वी में करोड़ों साल पहले क्या हुआ होगा। पृथ्वी कैसे बनी होगी? अक्सर इस तरह के सवाल जहन में आते हैं। अब एक शोध में खुलासा हुआ है कि करोड़ों साल पहले पृथ्वी के पास भी शनि ग्रह की तरह छल्ला रहा होगा।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Updated on: September 16, 2024 13:06 IST
Earth and Saturn- India TV Hindi
Image Source : FILE AP Earth and Saturn

मेलबर्न: शनि के छल्ले सौर मंडल की सबसे प्रसिद्ध और आकर्षक चीजों में से एक हैं। पृथ्वी पर भी कभी ऐसा ही कुछ रहा होगा। ‘अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स’ में पिछले सप्ताह एंड्रयू टॉमकिन्स (भूविज्ञानी, मोनाश विश्वविद्यालय) और उनकी टीम की तरफ से प्रकाशित एक शोध में यह सबूत दिया गया है कि कभी पृथ्वी के चारों ओर एक छल्ला रहा होगा। लगभग 46.6 करोड़ वर्ष पहले बना एक ऐसा छल्ला जो पृथ्वी के अतीत की कई पहेलियों को सुलझा सकता है।

पृथ्वी के आसपास छल्ले

शोध में बताया गया है कि लगभग 46.6 करोड़ वर्ष पहले बहुत सारे उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने लगे थे। भूवैज्ञानिक रूप से संक्षिप्त अवधि में इसके असर के कारण पृथ्वी पर कई गड्ढे बने। इसी में यूरोप, रूस और चीन में चूना पत्थर के भंडार भी मिले जिनमें एक प्रकार के उल्कापिंड का बहुत ज्यादा मलबा था। इन तलछटी चट्टानों में उल्कापिंड के मलबे का संकेत मिलता है कि वो आज गिरने वाले उल्कापिंडों की तुलना में बहुत कम समय के लिए अंतरिक्ष विकिरणों के संपर्क में थे। इस दौरान कई सुनामी भी आईं, जैसा कि अन्य असामान्य अव्यवस्थित तलछटी चट्टानों में देखा जा सकता है। शोध में कहा गया है कि यह सभी विशेषताएं एक-दूसरे से संबंधित हैं। 

गड्ढों की प्रवृत्ति

शोध में उल्कापिंड के असर के कारण बने 21 गड्डों के बारे में बताया गया है। शोधकर्ता देखना चाहते थे कि क्या इन स्थानों में कोई गौर करने वाली बात है। अतीत में पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के मॉडल का उपयोग करके यह पता लगाया कि जब ये सभी गड्डे पहली बार बने थे तो वे कहां थे। हमने पाया कि सभी गड्ढे उन महाद्वीपों पर हैं जो इस अवधि में भूमध्य रेखा के करीब थे और कोई भी गड्ढा ऐसे स्थानों पर नहीं है जो ध्रुवों के करीब थे। अत: सभी गड्ढे भूमध्य रेखा के करीब बने। शोध में यह पता चला कि सामान्य परिस्थितियों में, पृथ्वी से टकराने वाले क्षुद्रग्रह किसी भी अक्षांश पर टकरा सकते हैं, जैसा कि हम चंद्रमा, मंगल और बुध पर बने गड्ढों में देखते हैं। इसलिए इसकी बहुत कम संभावना है कि इस अवधि के सभी 21 गड्ढे भूमध्य रेखा के करीब बने होंगे। शोध में पता चला कि एक बड़ा क्षुद्रग्रह पृथ्वी के साथ टकराने के दौरान टूट गया। कई दसियों लाख वर्षों में, क्षुद्रग्रह का मलबा पृथ्वी पर गिरा, जिससे क्रेटर, तलछट और सुनामी की प्रवृत्ति तैयार हुई।

छल्ले कैसे बने

शनि छल्लों वाला एकमात्र ग्रह नहीं है। बृहस्पति, अरुण और वरुण में भी थोड़े छल्ले हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि मंगल ग्रह के छोटे चंद्रमा, फोबोस और डेमोस, एक प्राचीन छल्ले के अवशेष हो सकते हैं। जब कोई छोटा पिंड (क्षुद्रग्रह की तरह) किसी बड़े पिंड (ग्रह की तरह) के करीब से गुजरता है, तो गुरुत्वाकर्षण के कारण वह खिंच जाता है। यदि यह काफी करीब आ जाता है (रोश सीमा नाम की दूरी के अंदर), तो छोटा पिंड कई छोटे टुकड़ों और कुछ बड़े टुकड़ों में टूट जाएगा। ये सभी टुकड़े धीरे-धीरे बड़े पिंड की भूमध्य रेखा की परिक्रमा करते हुए एक छल्ले में विकसित हो जाएंगे। समय के साथ छल्ले में मौजूद सामग्री बड़े हिस्सों पर गिरेगी, जहां बड़े टुकड़े गड्ढे बनाएंगे। ये गड्ढे भूमध्य रेखा के करीब स्थित होंगे। (द कन्वरसेशन)

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