Friday, November 22, 2024
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बज गई विनाश की घंटी! अंटार्कटिका में ग्रीनलैंड से भी बड़ा समुद्री बर्फ का टुकड़ा गायब होने से वैज्ञानिक हैरान

अंटार्कटिका की पिघलती बर्फ ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों के होश उड़ा दिए हैं। यह महाविनाश का संकेत तो नहीं। क्या आगामी समय में धरती और अधिक गर्म होने वाली है, क्या धरती फिर से आग का गोला बनेगी। लगातार तेजी से गर्म होता तापमान वैसे भी शुभ संकेत नहीं दे रहा।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: August 01, 2023 16:34 IST
अंटार्कटिका से पिघलता बर्फ का विशाल भाग।- India TV Hindi
Image Source : AP अंटार्कटिका से पिघलता बर्फ का विशाल भाग।

अंटार्कटिका में ग्रीनलैंड से भी बड़ा समुद्री बर्फ का टुकड़ा गायब है। ये क्या हो रहा है? वैज्ञानिक अंटार्कटिका में ऐसे हालात देखकर खुद हैरान हो गए हैं। क्या यह धरती के विनाश का संकेत है, क्या महाविनाश की घंटी बज चुकी है?...फिलहाल संकेत तो भविष्य की कुछ ऐसी ही डरावनी तस्वीर दिखा रहे हैं। अंटार्कटिका में ग्रीनलैंड बहुत बड़ा समुद्री द्वीप है, जो कि बड़ा बर्फ का टुकड़ा है। मगर ग्रीनलैंड से भी बड़े बर्फ के टुकड़े का लापता हो जाना वैज्ञानिकों के होश उड़ाने वाला है।

वैज्ञानिकों के अनुसार इस वक्त हम गर्मी के घातक प्रकोप, जंगल की भीषण आग और रिकॉर्ड वैश्विक तापमान से गुजर रहे हैं, लेकिन आग की लपटों से दूर, ग्रह के सबसे दक्षिणी सिरे पर, कुछ चौंकाने वाला घटित हो रहा है। यह अंटार्कटिक सर्दी है, एक ऐसा समय जब महाद्वीप के चारों ओर तैरती समुद्री बर्फ का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा होगा। हालाँकि इस वर्ष, रुक-रुक कर धीमी गति से यह काम हो रहा है। इस गर्मी में तापमान रिकॉर्ड न्यूनतम सीमा तक पहुंचने के बाद अब खुले समुद्र का क्षेत्र ग्रीनलैंड से भी बड़ा है। यदि ‘‘लापता’’ समुद्री बर्फ एक देश होता, तो यह दुनिया का दसवां सबसे बड़ा देश होता।

दुनिया के 10 वें बड़े देश के भूभाग के बराबर गायब हुआ समुद्री बर्फ का विशाल भाग

सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि यह टुकड़ा कोई सामान्य नहीं था। यह इतना अधिक विशाल था कि यदि ये जमीन का टुकड़ा होता तो दुनिया का सबसे बड़ा 10वां देश होता...क्षेत्रफल के लिहाज से। ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग की विभीषिका को समझा जा सकता है। मगर अंटार्कटिक समुद्री बर्फ की किसे परवाह है? अधिक तात्कालिक जलवायु संबंधी चिंताओं के सामने, अंटार्कटिक समुद्री बर्फ क्यों मायने रखती है? तैरती हुई समुद्री बर्फ एक महत्वपूर्ण जलवायु पहेली है। इसके बिना, वैश्विक तापमान गर्म होगा क्योंकि इसकी चमकदार, सफेद सतह दर्पण की तरह काम करती है, जो सूर्य की ऊर्जा को वापस अंतरिक्ष में प्रतिबिंबित करती है।

अंटार्कटिका क्यों है महत्वपूर्ण

यह अंटार्कटिक ग्रह को ठंडा रखता है। अंटार्कटिक समुद्री बर्फ भी समुद्री धाराओं को नियंत्रित करने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और एक बफर के रूप में कार्य कर सकती है जो तैरती बर्फ की तहों और ग्लेशियरों को ढहने और वैश्विक समुद्र के स्तर में वृद्धि से बचाती है। संक्षेप में अंटार्कटिक समुद्री बर्फ का नुकसान पूरे ग्रह के लिए मायने रखता है। वहीं दक्षिणी समुद्री बर्फ हर साल अंटार्कटिक समुद्री बर्फ में परिवर्तन होता है। फरवरी में इसकी न्यूनतम गर्मी से, सर्दियों के जमने के दौरान इसका क्षेत्रफल छह गुना से अधिक बढ़ जाता है जो सितंबर में अपने चरम पर पहुंच जाता है। अंटार्कटिक समुद्री बर्फ की स्थिति पर निगरानी करने का एक स्पष्ट तरीका इन चोटियों और गर्तों पर नज़र रखना है। रिकॉर्ड्स की शुरुआत 1979 में हुई और 2015 तक, अंटार्कटिका के आसपास जमे हुए समुद्र की वार्षिक औसत सीमा थोड़ी सी बढ़ रही थी।

गत 7 वर्षों में अंटार्कटिक की समुद्री बर्फ में आया बड़ा परिवर्तन

पिछले सात वर्षों में, अंटार्कटिक समुद्री बर्फ में नाटकीय रूप से बदलाव आया है। दो साल पहले रिकॉर्ड उच्च स्तर के बाद, 2016 के अंत में समुद्री बर्फ की मात्रा नाटकीय रूप से गिरकर फरवरी 2017 में न्यूनतम रिकॉर्ड स्तर पर आ गई। इसके बाद लगातार निम्न वर्ष आए और फरवरी 2022 में दक्षिणी गोलार्ध में गर्मियों का रिकॉर्ड फिर से टूट गया और सबसे हाल ही में 2023 में 17 लाख 90 हजार वर्ग किलोमीटर की एक नई न्यूनतम सीमा दर्ज की गई, जो पिछले साल की गर्मियों के रिकॉर्ड से लगभग 10% कम है। फरवरी 2023 के बाद से, धीमी गति से पुनर्विकास का मतलब है कि समुद्री बर्फ वर्ष के समय के मुकाबले और भी कम हो गई है। अब, जुलाई में, हम जो देख रहे हैं वह सचमुच उल्लेखनीय है। हवा के पैटर्न, तूफान, समुद्री धाराएं और हवा और समुद्र का तापमान सभी प्रभावित करते हैं कि अंटार्कटिका के आसपास समुद्र का कितना हिस्सा बर्फ से ढका हुआ है और वे अक्सर अलग-अलग दिशाओं में धकेलते और खींचते हैं। इसका मतलब यह है कि किसी विशेष वर्ष या कई वर्षों में अंटार्कटिक समुद्री बर्फ के व्यवहार को केवल एक कारक से जोड़ना कठिन हो सकता है।

अंटार्कटिक की समुद्री बर्फ बनी रहस्यमय

आर्कटिक समुद्री बर्फ की तुलना में, जिसकी तीव्र गिरावट को बढ़ते तापमान से मजबूती से जोड़ा जा सकता है, अंटार्कटिक समुद्री बर्फ अधिक रहस्यमय साबित हुई है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के जवाब में, मॉडलों ने लंबे समय से अंटार्कटिक समुद्री बर्फ में गिरावट की भविष्यवाणी की है। जैसे-जैसे समुद्र और वातावरण गर्म होंगे, दोनों के बीच जमी समुद्री बर्फ सिकुड़ जाएगी। लेकिन जैसा कि वैज्ञानिकों को पता चला है, अंटार्कटिक समुद्री बर्फ उससे भी अधिक जटिल है। इस विषय पर मॉडल अविश्वसनीय प्रतीत होते हैं, जिसका अर्थ है कि हम अभी भी नहीं जानते हैं कि अंटार्कटिक समुद्री बर्फ में गिरावट कैसी दिखेगी। जलवायु परिवर्तन से प्रेरित लंबे समय तक चलने वाली कमी का पहला संकेत है।  (द कन्वरसेशन)

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