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कांगो में जारी है हिंसा का दौर, विस्थापितों के शिविरों पर हुई बमबारी में अब तक 35 लोगों की हुई मौत

कांगो में हालात बेहद गंभीर हैं। यह पूरा क्षेत्र खासकर पूर्वी कांगो अशांत है। यहां 100 से अधिक सशस्त्र समूह लड़ रहे हैं। हाल ही में विस्थापितों के शिविरों में बमबारी हुई थी जिसमें 35 लोगों की मौत हो चुकी है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published on: May 11, 2024 12:22 IST
कांगो में हिंसा (सांकेतिक तस्वीर)- India TV Hindi
Image Source : AP कांगो में हिंसा (सांकेतिक तस्वीर)

गोमा: कांगो में हिंसा का दौर लगातार जारी है और आरोप है कि इसके पीछे पड़ोसी देश रवांड की बड़ी भूमिका है। पूर्वी कांगो में विस्थापितों के दो शिविरों पर पिछले सप्ताह बमबारी हुई थी। अब बमबारी की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या बढ़कर लगभग 35 हो गई है, जबकि दो लोगों की हालत बेहद गंभीर है। एक स्थानीय अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी है। कांगो के उत्तर किवु राज्य में पिछले सप्ताह शिविरों पर हमले हुए थे। स्थानीय नेता एरिक बवानापुवा ने मृतकों की संख्या के बारे में जानकारी दी है उनका कहना है कि मृतकों संख्या बढ़ भी सकती है।  

सेना और विद्रोही एक दूसरे पर फोड़ रहे ठीकरा 

पूर्वी कांगो के मुगुंगा और लैक वर्ट शिविरों पर बमबारी के लिए कांगो की सेना और विद्रोही समूह ‘एम23’ एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस हमले के आरोप ‘एम23’ और पड़ोसी देश रवांडा की सेना पर लगाएं हैं। एम23 एक सशस्त्र समूह है जिसमें तुत्सी जनजाति के लोग शामिल हैं। यह समूह कांगो की सेना से 12 साल पहले अलग हुआ था। 

क्या बोले कांगो के राष्ट्रपति

कांगो के राष्ट्रपति फेलिक्स टी ने पड़ोसी देश रवांडा पर एम23 विद्रोहियों का समर्थन कर कांगो में अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया है। अमेरिकी विदेश विभाग के साथ संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने भी रवांडा पर विद्रोहियों का समर्थन करने का आरोप लगाया है। रवांडा इन दावों से इनकार करता है। पूर्वी कांगो में दशकों से चले आ रहे हिंसक संघर्ष ने दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकटों में से एक को जन्म दिया है। 

आम लोग हैं बेहाल 

बता दें कि, यह पूरा क्षेत्र अशांत है यहां 100 से अधिक सशस्त्र समूह लड़ रहे हैं। यहां संघर्ष की मुख्य वजह भूमि और मूल्यवान खनिजों के साथ खदानों पर नियंत्रण करना है। कुछ ऐसे भी समूह हैं जो अपने समुदायों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनमें से कई समूहों पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी हैं। हालात यह हैं कि हिंसा ने लगभग 70 लाख लोगों को विस्थापित किया है, जिनमें पिछले सप्ताह हुए हमले जैसे अस्थायी शिविरों में रहने वाले हजारों लोग भी शामिल हैं। (एपी) 

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