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 Climate Change पर अब मिलेगा हर्जाना, जानें किन देशों को देनी होगी क्षतिपूर्ति

Climate change compensation approved at COP 27:ग्लोबल वार्मिंग के चलते होने वाले जलवायु परिवर्तन पर अब प्रभावित देशों को हर्जाना दिया जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने के जिम्मेदार देश यह हर्जाना मिलकर देंगे।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Nov 20, 2022 14:40 IST, Updated : Nov 20, 2022 14:42 IST
COP27 सम्मेलन (मिस्र में)
Image Source : AP COP27 सम्मेलन (मिस्र में)

Climate change compensation approved at COP 27:ग्लोबल  वार्मिंग के चलते होने वाले जलवायु परिवर्तन पर अब प्रभावित देशों को हर्जाना दिया जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने के जिम्मेदार देश यह हर्जाना मिलकर देंगे। भारत ने जलवायु परिवर्तन के कारण प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए कोष स्थापित करने संबंधी समझौता करने के लिए रविवार को मिस्र में संपन्न हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन को ऐतिहासिक बताया और कहा कि दुनिया ने इसके लिए लंबे समय तक इंतजार किया है।

सीओपी27 के समापन सत्र में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह भी कहा कि दुनिया को किसानों पर न्यूनीकरण की जिम्मेदारियों का बोझ नहीं डालना चाहिए। उन्होंने शर्म अल-शेख में किए गए समझौते संबंधी मुख्य निर्णय में ‘‘जलवायु परिवर्तन से निपटने के हमारे प्रयासों के जरिए बदलाव के तहत सतत जीवन शैली और खपत एवं उत्पादन की टिकाऊ प्रणाली अपनाने’’ को शामिल करने का स्वागत किया। यादव ने सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाले मिस्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आप एक ऐतिहासिक सीओपी की अध्यक्षता कर रहे हैं, जहां हानि और क्षति निधि के लिए समझौता किया गया है। दुनिया ने इसके लिए बहुत लंबा इंतजार किया है। आम सहमति बनाने के आपके अथक प्रयासों के लिए हम आपको बधाई देते हैं।’’ हानि और क्षति का तात्पर्य जलवायु परिवर्तन के कारण हुई आपदाओं से होने वाला विनाश है।

जलवायु परिवर्तन का कृषि पर असर

भूपेंद्र ने कहा, ‘‘हम इस बात का उल्लेख करते हैं कि हम कृषि एवं खाद्य सुरक्षा में जलवायु कार्रवाई पर चार साल का कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं। लाखों छोटे किसानों की आजीविका का मुख्य आधार कृषि जलवायु परिवर्तन से बुरी तरह प्रभावित होगी, इसलिए हमें उन पर न्यूनीकरण की जिम्मेदारियों का बोझ नहीं डालना चाहिए। वास्तव में, भारत ने अपने एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) से कृषि में न्यूनीकरण को अलग रखा है।’’ यादव ने न्यायोचित बदलाव पर एक कार्यक्रम शुरू किए जाने पर कहा कि ज्यादातर विकासशील देशों के लिए न्यायसंगत बदलाव को कार्बन का इस्तेमाल बंद करने के साथ नहीं, बल्कि कम कार्बन उत्सर्जन से जोड़ा जा सकता है।

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