Highlights
- चीन में आने वाली है 40 वर्षों की सबसे बड़ी मंदी
- जानें कैसे बिगड़ रहे हैं दिन-दिन चीन के आर्थिक हालात
- चीन में मंदी की आहट के बाद भारत हुआ सतर्क
China's economy in danger: श्रीलंका में छाई मंदी और डवांडोल हुए आर्थिक हालात का असर धीरे-धीरे पूरी दुनिया पर हो रहा है। भारत का जानी दुश्मन चीन भी इससे अछूता नहीं है। कहा जा रहा है कि अब चीन की हालत भी अगले कुछ माह में श्रीलंका जैसी होने वाली है। आखिर ऐसा क्या हो गया की चीन के चारों खाने चित्त होने वाले हैं। क्या चीन में श्रीलंका से भी बड़ी तबाही आने वाली है, क्या अब ड्रैगन भी दुनिया के सामने घुटने टेकने वाला है...इत्यादि कुछ ऐसे सवाल हैं जो हर किसी के जेहन में हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि कुछ समय से चीनी अर्थव्यवस्था की चाल मंद चल रही है। इसकी एक वजह भारत से धीरे-धीरे चीनी उत्पादों पर निर्भरता का खत्म किया जाना भी है।
अभी तक चीन के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार रहा था। भारत और चीन के बीच प्रति वर्ष 100 अरब डालर से भी ज्यादा का कारोबार होता रहा है। मगर धीरे-धीरे भारत की निर्भरता चीनी उत्पादों से खत्म हो रही है। चीन से आने वाले खिलौनों के आयात में तो छह गुना तक कमी दर्ज की गई है। यह आत्म निर्भर भारत और मेक इन इंडिया की वजह से संभव हो पाया है। इसी तरह अन्य देशों में भी चीनी निर्यात कम हो रहा है। इससे ड्रैगन घबराया हुआ है।
चीन में कई बैंक और कंपनियां दिवालिया होने के कगार पर
चीन की हालत इस कदर खस्ता होती जा रही है कि इसकी कई मल्टीनेशनल कंपनियों और बड़े बैंको की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। वह सभी दिवालिया होने के कगार पर हैं। चीन के रीयल एस्टेट क्षेत्र में भी भारी मंदी है। बड़े बैंकों के पास फंड की कमी हो गई है। लिहाजा ग्राहकों का जमा धन देने पर कई बैंक रोक लगा चुके हैं। इससे हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं। अब चीन को इस मंदी से उबरने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। चीन की वैश्विक सप्लाई चेन बुरी तरह से चरमराने लगी है। इसका असर पूरी दुनिया की इकोनॉमी पर होना तय माना जा रहा है। इसलिए चीनी अर्थव्यवस्था की मंद चाल पर पूरी दुनिया की नजर है।
भारत में बढ़ाई गई सतर्कता
चीनी अर्थव्यवस्था के डवांडोल होने वाले संकेतों के बीच भारत सतर्क हो गया है। क्योंकि भारत और चीन के बीच प्रति वर्ष 100 अरब डालर से अधिक का कारोबार होता है। पिछले एक छमाही में चीन ने आयात कम कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चीन को होने वाला निर्यात गत छह महीने के दौरान 35 फीसद तक कम हुआ है। ऐसे में केंद्रीय वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अलर्ट मोड पर हैं। भारत के फार्मास्यूटिकल्स उद्योग से लेकर रसायन और इलेक्ट्रानिक उद्योगों की निर्भरता कच्चे माल के लिए काफी हद तक चीन पर ही है। ऐसी परिस्थिति में चीन में बिगड़ते हालात का असर सबसे पहले भारत के इन्हीं उद्योगों पर पड़ेगा। इसलिए अभी से केंद्र सरकार इस हालात से निपटने का विकल्प तलाशने लगी है। ताकि हर मुश्किल का सामना किया जा सके।
चीन घटा रहा बैंकों में ब्याज
एक तरफ दुनिया जहां अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर रही है तो वहीं चीन ब्याज दरों में भारी गिरावट कर रहा है। इससे भी दुनिया हैरान हो रही है। क्योंकि चीन के हर एक कदम और हर हालात का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में चीन की कुछ न कुछ भागीदारी अवश्य है। ऐसे में चीन में हालात बिगड़े तो दुनिया इससे अछूती नहीं रह सकेगी।
चीन में मंदी के दौरान भारत की बढ़ेगी दुनिया भर में साख
भारत चीन के पल-पल के आर्थिक हालात पर अभी से इसलिए पैनी नजर बनाए है कि वहां मंदी की मार होने पर अपना देश इससे कहीं अधिक प्रभावित नहीं होने पाए। पीएम मोदी स्वयं दुनिया में तेजी से बदलते आर्थिक परिदृश्य वाले देशों पर नजर रख रहे हैं। इस दौरान अगर भारत खुद को संभालने में कामयाब रहा तो उसकी धमक पूरी दुनिया में बढ़ेगी। एशिया से लेकर यूरोप और अमेरिका तक सिर्फ भारत का ही डंका बजेगा। इसका संकेत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी दिया है। जिसने चीन में ऐतिहासिक मंदी का संकेत दिया है। जबकि इस वैश्विक मंदी के बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर 7.4 फीसद तक रहने का अनुमान लगाया गया है।
40 वर्षों में सबसे नीचे हो सकती है चीन की विकास दर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार चीन मंदी के भयंकर चपेट में जाने वाला है। हालात यह होंगे की गत 40 वर्षों में चीन की अर्थव्यवस्ता सबसे निम्न स्तर तक चली जाएगी। आइएमएफ के अनुसार चीन की आर्थिक विकास दर 3.3 फीसद तक जा सकती है।