यमन में सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने पिछले आठ वर्षों में 8,000 से अधिक यमन नागरिकों को मारने के लिए चीनी ड्रोन का इस्तेमाल किया है। इराकी सेना का दावा है कि उसने 100 फीसदी सफलता दर के साथ चीनी ड्रोन की मदद से आईएसआईएस के खिलाफ 260 से अधिक हवाई हमले किए हैं। चीनी ड्रोन से लैस म्यांमार की सेना ने भी दो साल पहले सत्ता पर कब्जा करने के विरोध में नागरिकों और जातीय समूहों पर सैकड़ों हवाई हमले किए। वहीं, इथोपिया में प्रधानमंत्री अबी अहमद ने 2021 में चीनी ड्रोन की मदद से एक विद्रोह को खत्म किया था
इन देशों ने खरीदा चीनी ड्रोन
चीनी लड़ाकू ड्रोन के अन्य खरीदारों में मोरक्को, मिस्र, अल्जीरिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), पाकिस्तान और सर्बिया शामिल हैं। उनके खरीदे हुए ड्रोन खुफिया जानकारी जुटाने के साथ-साथ हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल भी दाग सकते हैं। वैश्विक हथियारों की खरीद पर नज़र रखने वाले स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के डेटा से पता चलता है कि चीन ने पिछले एक दशक में 17 देशों को लगभग 282 लड़ाकू ड्रोन बेचे हैं। ऐसे में चीन लड़ाकू ड्रोन का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है।
अमेरिका की हथियार बिक्री नीति काफी पेचीदा है
SIPRI के आंकड़ों के अनुसार, तुलनात्मक रूप से, अमेरिका के पास दुनिया में सबसे उन्नत यूएवी हैं। इसके बावजूद उसने पिछले एक दशक में केवल 12 लड़ाकू ड्रोन बेचे हैं। ब्रिटेन और फ्रांस भी इन 12 ड्रोन के खरीदार हैं। हालांकि, अमेरिका अभी भी निहत्थे निगरानी ड्रोन के निर्यात में सबसे आगे है। अमेरिका के पास ड्रोन की एक विस्तृत श्रृंखला है। तकनीक के मामले में भी अमेरिकी ड्रोन सबसे उन्नत और महंगे हैं। अमेरिका की हथियार बिक्री नीति भी काफी पेचीदा है। ऐसे में दुनिया भर के छोटे देश सस्ते चीनी ड्रोन खरीद रहे हैं।
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