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चीन ने चली चाल और रूस ने ठानी रार, यूक्रेन युद्ध के बीच F-16 से तुर्की करा रहा NATO का विस्तार!

यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क शहरों के विवाद के अलावा युद्ध का दूसरा बड़ा कारण कीव का उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने के लिए पेश किया जाने वाला दावा भी था। रूस नहीं चाहता था कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने, लेकिन जेलेंस्की ने नाटो में शामिल होने की जिद पाल ली थी। नतीजा सामने है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: February 20, 2023 20:30 IST
नाटो की प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : AP नाटो की प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली। यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क शहरों के विवाद के अलावा युद्ध का दूसरा बड़ा कारण कीव का उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने के लिए पेश किया जाने वाला दावा भी था। रूस नहीं चाहता था कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने, लेकिन जेलेंस्की ने नाटो में शामिल होने की जिद पाल ली थी। नतीजा सामने है। जब पश्चिमी देशों के अलावा रूस और यूक्रेन युद्ध में व्यस्त हैं तो इधर चीन दुनिया का सुप्रीम लीडर बनने का सपना पाल बैठा है। हाल ही में 40 से अधिक देशों में चीन द्वारा जासूसी किए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आ चुका है। दक्षिण चीन सागर से लेकर पताल से अंतरिक्ष तक चीन अपनी ताकत को बढ़ा रहा है और वह अन्य देशों की वैश्विक परिस्थितियों में पैदा हुई कमजोरी का फायदा उठाना चाहता है। इधर भूकंप पीड़ित होने के बावजू तुर्की ने F-16 फाइटर जेट के लिए नाटो का विस्तार कराने का खेला खेल दिया है। आइए आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला है क्या?

दरअसल अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सोमवार को नाटो में स्वीडन और फिनलैंड को यथाशीघ्र शामिल करने की बात कही है। कहा जा रहा है कि इस डील के पीछे तुर्की है। वह अमेरिका से एफ-16 लेने के बदले इन दो देशों को नाटो में शामिल करवा रहा है। हालांकि तुर्की के विदेश मंत्री ने नाटो के विस्तार और एफ-16 लड़ाकू विमानों की खरीद के बीच किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया है। तुर्की ने आतंकवाद को लेकर चिंताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि  ट्रांस-अटलांटिक रक्षा गठबंधन में ‘नॉर्डिक’ देशों को शामिल करने में देरी की गई है। जबकि ब्लिंकन ने तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लु के साथ अंकारा में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम आश्वस्त हैं कि नाटो जल्द ही औपचारिक रूप से उनका (स्वीडन और फिनलैंड) स्वागत करेगा।

नाटो के प्रत्येक सदस्य की बढ़ेगी सुरक्षा

नाटो का यह विस्तार ऐसे वक्त में किया जा रहा है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया पर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। पश्चिमी देश यूक्रेन के पक्ष में खड़े हैं तो चीन रूस के साथ है। ऐसे में चीन और रूस का मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने नाटो को मजबूती देने का फैसला किया है। ब्लिंकन ने कहा कि नाटो का विस्तार होगा और जब यह होगा तो इससे अमेरिका और तुर्की सहित नाटो के प्रत्येक सदस्यों की सुरक्षा में इजाफा होगा। इसके बाद कावुसोग्लु ने तुर्की के इस रुख को दोहराया कि वह स्वीडन से पहले फिनलैंड के नाटो में शामिल होने के लिए मंजूरी देने का इच्छुक है।

तुर्की अपने खिलाफ 39 साल से चरमपंथी गतिविधियों में लिप्त कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) के प्रति स्टॉकहोम की सहिष्णुता को लेकर सवाल खड़े करता रहा है। उन्होंने कहाकि दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वीडन में अब भी पीकेके समर्थक हैं। वे लोगों की भर्ती कर रहे हैं और आतंकी गतिविधियों का वित्त पोषण कर रहे हैं तथा वे स्वीडन में आतंकी दुष्प्रचार कर रहे हैं, क्योंकि वे नहीं चाहते कि स्वीडन नाटो का सदस्य बने।

तुर्की ने माना संवैधानिक परिवर्तन हुआ था
कावुसोग्लु ने स्वीकार किया कि स्वीडन ने तुर्किये की मांगों को पूरा करने के लिए संवैधानिक परिवर्तन किये थे। उन्होंने कहा कि ‘‘हमारी संसद और लोगों’’ को मनाने के लिए और भी प्रयास किये जाने की जरूरत है। मंत्री ने इस बात को खारिज कर दिया कि एफ-16 सौदे का संबंध स्वीडन और फिनलैंड की नाटो की सदस्यता का अनुमोदन करने से संबद्ध है, जिसके लिए गठबंधन के सभी 30 सदस्यों का सहमत होना जरूरी है। केवल तुर्की और हंगरी की संसद से इसका अनुमोदन होना बाकी रह गया है। कावुसोग्लु ने कहा, ‘‘दो अलग मुद्दों--नाटो की सदस्यता और एफ-16 की खरीद--को एक दूसरे से जोड़ना सही नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि तुर्की अपने एफ-16 विमानों के बेड़े को अद्यतन करना चाहता है।

अमेरिका ने चीन के रुख पर जताई चिंता
ब्लिंकन ने यूक्रेन युद्ध में रूस के लिए सैन्य सहायता पर चीन के विचार करने की खबरों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘हमें इस बात की चिंता है कि चीन घातक सहायता के साथ यूक्रेन में रूसी आक्रमण में मदद करना चाहता है, इस पर हम बहुत करीबी नजर रखे हुए हैं। ब्लिंकन ने तुर्की और सीरिया में गत छह फरवरी को आए विनाशकारी भूकंप के बाद अमेरिकियों द्वारा प्रदान की गई सहायता की प्रशंसा की। ब्लिंकन ने कहा, ‘‘अमेरिका में निजी क्षेत्र की ओर से लगभग आठ करोड़ अमेरिकी डॉलर का दान किया गया है। जब मैंने वाशिंगटन में तुर्की दूतावास का दौरा किया तो मैं सामने के द्वार तक नहीं जा सका, क्योंकि दूतावास का पूरा रास्ता बक्सों से भरा हुआ था।

उन्होंने कहा, ‘‘बेघर हुए लोगों की मदद करने और पुनर्निर्माण के लिए तुर्की को एक लंबा सफर तय करना है और हम सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ब्लिंकन ने सोमवार को कहा, ‘‘इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। अनगिनत इमारतें, समुदाय, सड़कें, क्षतिग्रस्त या पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं।’’ ब्लिंकन ने सोमवार को बाद में राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन से भी मुलाकात की।

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