Friday, November 22, 2024
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क्या ओमिक्रॉन से बचाएगी बूस्टर डोज? जानें कब और कौन सा लगवाएं टीका

जब आपको कोविड वैक्सीन की पहली खुराक मिलती है, तो आपका शरीर स्पाइक प्रोटीन नामक वायरस के एक हिस्से के खिलाफ एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है। ऐसे में यदि आप सार्स-कोव-2 वायरस के संपर्क में हैं, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को जल्दी से पहचान सकती है और उससे लड़ सकती है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 10, 2021 14:08 IST
ओमिक्रॉन से बचाव के...- India TV Hindi
Image Source : AP ओमिक्रॉन से बचाव के लिए जरूरी बूस्टर डोज

Highlights

  • कोविड के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा बूस्टर टीका
  • कोविड वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के छह महीने या उससे अधिक की अवधि में एंटीबॉडी हो जाती हैं कम
  • बूस्टर खुराक के बाद एंटीबॉडी का स्तर प्रारंभिक टीकाकरण के बाद की तुलना में अधिक होता है

सिडनी: पूरे विश्व में ओमिक्रॉन के मामले बढ़ने के बाद सभी इसका विकल्प तलाशने में लग गए हैं। इससे कैसे बचा जाए हर कोई ये जानने की कोशिश कर रहा है। कई विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि बूस्टर डोज से खुद को प्रतिरक्षित किया जा सकता है इसीलिए यदि आपको कोविड वैक्सीन का दूसरा टीका लगवाए छह महीने हो गए हैं, तो यह समय है कि आप अपना बूस्टर टीका लगवाने के बारे में सोचें। यह कोविड के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा, जिसमें नया ओमिक्रॉन संस्करण भी शामिल है। हालांकि इस संबंध में प्रमाण अभी आ रहे हैं, लेकिन प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि फाइजर बूस्टर ओमिक्रॉन के खिलाफ वही सुरक्षा दे सकता है जैसा कि मूल वायरस के खिलाफ दोहरी खुराक वाले टीकाकरण ने किया था।

बूस्टर डोज आखिर क्यों जरूरी

जब आपको कोविड वैक्सीन की पहली खुराक मिलती है, तो आपका शरीर स्पाइक प्रोटीन नामक वायरस के एक हिस्से के खिलाफ एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है। ऐसे में यदि आप सार्स-कोव-2 वायरस के संपर्क में हैं, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को जल्दी से पहचान सकती है और उससे लड़ सकती है। कोविड वैक्सीन की एकल खुराक के लिए प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया आम तौर पर अल्पकालिक होती है। तो एक मजबूत और लंबे समय तक चलने वाली प्रतिक्रिया के लिए दूसरी खुराक की आवश्यकता होती है। समय के साथ, आपके शरीर में एंटीबॉडी की मात्रा कम हो जाती है। इसे कमजोर प्रतिरक्षा के रूप में जाना जाता है।

 यदि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कोविड के खिलाफ सुरक्षा के लिए जरूरी स्तर से कम हो जाती है तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस के संपर्क में आने पर संक्रमण को रोकने में सक्षम नहीं रह जाती। प्रारंभिक कोर्स के कुछ समय बाद दी जाने वाली वैक्सीन की खुराक सुरक्षात्मक सीमा से ऊपर एंटीबॉडी के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है।

दूसरी खुराक लेने के कितने समय बाद प्रतिरक्षा कम हो जाती है?
कोविड वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के छह महीने या उससे अधिक की अवधि में एंटीबॉडी कम हो जाती हैं। टीकाकरण पूरा करने के छह महीने बाद, कोविड संक्रमण के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता औसतन 18.5 प्रतिशत कम हो जाती है। बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के बीच सुरक्षा में कमी एक चिंता का विषय है क्योंकि युवा, स्वस्थ लोगों की तुलना में उनके पास टीकों के प्रति कमजोर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है।

बूस्टर खुराक कितनी प्रभावी है?
बूस्टर खुराक के बाद एंटीबॉडी का स्तर प्रारंभिक टीकाकरण के बाद की तुलना में अधिक होता है। हालांकि वैक्सीन की दो खुराक के बाद कोविड संक्रमण फैलाने वाले मूल वायरस के खिलाफ जितनी सुरक्षा मिली थी, डेल्टा संस्करण के खिलाफ वह थोड़ी कम थी, लेकिन एक बूस्टर वैक्सीन समान स्तर पर सुरक्षा बहाल करती है। इज़राइल में, जिन लोगों ने बूस्टर टीका लगवाया था उनमें प्रारंभिक दो खुराक लेने वाले लोगों की तुलना में संक्रमण दर दस गुना कम थी। सुरक्षा के दृष्टिकोण से, बूस्टर खुराक के बाद साइड इफेक्ट के प्रकार और आवृत्ति पहली और दूसरी खुराक के समान रही।

क्या बूस्टर मुझे ओमिक्रॉन से बचाएगा?
प्रारंभिक प्रयोगशाला अध्ययनों से पता चलता है कि फाइजर वैक्सीन की दो खुराकें ओमिक्रॉन के खिलाफ कुछ प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं, लेकिन उतनी नहीं जितनी पिछले संस्करणों में करती थीं। इसका मतलब है कि हमें पूरी तरह से टीका लगाए गए लोगों में अधिक संक्रमण देखने की आशंका है। हालांकि एक बूस्टर खुराक पूरी तरह से टीकाकरण वाले लोगों में पिछले संस्करणों के खिलाफ देखे गए स्तर के समान प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में सुधार करती है, और गंभीर बीमारी के खिलाफ अच्छी सुरक्षा प्रदान करने की उम्मीद है। हालांकि यह जान लेना राहत प्रदान करता है कि शुरूआती आंकड़े वायरस के इस संस्करण के पिछले वाले की तुलना में कम गंभीर होने का संकेत देते हैं। 

मुझे अपनी बूस्टर खुराक के रूप में कौन सा टीका लगवाना चाहिए?
ऑस्ट्रेलिया में उपलब्ध दो एमआरएनए कोविड टीके फाइजर और मॉडर्न अब तक बूस्टर खुराक के रूप में उपयोग के लिए स्वीकृत हैं। हाल ही में एक क्लिनिकल परीक्षण से पता चलता है कि कई कोविड टीके, जिनमें तीनों वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में उपलब्ध हैं (फाइजर, मॉडर्न और एस्ट्राजेनेका), और नोवावैक्स और जेनसेन टीके, फाइजर या एस्ट्राजेनेका टीकों के एक कोर्स के बाद मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं।

कोविड टीकों के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं के बारे में अब तक हम जो जानते हैं, उसके आधार पर, बूस्टर के रूप में इनमें से कोई भी टीका आपके संक्रमण के जोखिम को कम करने में प्रभावी होना चाहिए, भले ही आपको शुरू में कोई भी टीका मिला हो।

एमआरएनए टीकों के साथ उच्चतम प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं देखी गईं, लेकिन अभी यह बताना जल्दबाजी होगी कि क्या ये बूस्टर के रूप में उपयोग किए जाने पर कोविड ​​​​संक्रमण के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं, या अन्य टीकों की तुलना में प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं कितनी जल्दी खत्म हो जाएंगी।

मेरी बूस्टर खुराक लेने का सबसे अच्छा समय कब है?
बूस्टर खुराक आपके एंटीबॉडी के स्तर को बढ़ाने में उस समय तक सक्षम है जब तक कि अपनी सुरक्षात्मक सीमा से नीचे नहीं आ जाएं। कोविड के साथ कठिनाई यह है कि हम अभी तक नहीं जानते हैं कि सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा सीमा क्या है। हालांकि इस दिए गए समय में अन्य कारक भी शामिल होते हैं जैसे कि समुदाय में कितनी बीमारी है और टीके की उपलब्धता। यूनाइटेड किंगडम जैसे कुछ देशों ने प्रारंभिक दो टीके का कोर्स पूरा होने के तीन महीने बाद ही बूस्टर खुराक लेने की सिफारिश की है। हालांकि, इस कम अवधि का मतलब यह हो सकता है कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में वृद्धि उतनी अधिक या लंबे समय तक चलने वाली नहीं है। कोविड वैक्सीन की पहली और दूसरी खुराक के बीच का लंबा अंतराल अधिक प्रभावी है। यह देखते हुए कि कोविड वायरस अन्य देशों की तुलना में ऑस्ट्रेलिया में बहुत कम है और वैक्सीन कवरेज आम तौर पर अधिक है, प्रारंभिक टीकाकरण के छह महीने बाद बूस्टर खुराक लेना उचित लगता है।

भारत में बूस्टर डोज देने पर विचार-

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्‍ड के बूस्‍टर डोज की मंजूरी पाने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) को आवेदन दिया है। इस मामले में सीरम इंस्‍टीट्यूट का कहना है देश में मौजूदा समय में कोविड वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक है और ऐसे में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को देखते हुए लोग बूस्‍टर डोज की मांग कर रहे हैं। बता दें कि जब से कोरोना के डेल्‍टा वेरिएंट से कहीं ज्‍यादा संक्रामक वेरिएंट ओमिक्रॉन सामने आया है, तब से ही कई विशेषज्ञों ने भारत में बूस्‍टर डोज दिए जाने की सिफारिश की है।

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