भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संघठन (इसरो) का चंद्रयान-3 आगामी 23,24 अगस्त को चांद पर उतरने वाला है। इस दौरान वह चांद की कक्षा में तेजी से चक्कर लगाते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की ओर आगे बढ़ रहा है। ऐसा होते ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश हो जाएगा। मगर चंद्रयान के लैंडर के दक्षिणी पोल पर उतरने से पहले मंगल ग्रह पर जीवन से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। वैज्ञानिकों को कुछ ऐसे संकेत मिले हैं, जिससे उन्होंने मंगल पर किसी वक्त जीवन रहने की संभावना व्यक्त की है। आइए आपको बताते हैं कि वैज्ञानिकों को मंगल से जुड़े क्या कुछ नए रहस्यों का पता चला है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल ग्रह पर संभवत: किसी समय में शुष्क और आर्द्र मौसम चक्र रहा होगा और इस प्रकार, यह अपने अतीत में किसी समय रहने योग्य रहा होगा। यानि कभी न कभी मंगल पर जीवन मौजूद था। नासा के ‘क्यूरियोसिटी’ रोवर द्वारा मंगल ग्रह की प्रारंभिक सतह पर देखे गए मिट्टी की दरार के पैटर्न का विश्लेषण वहां पानी की अनियमित उपस्थिति की बात कहता है, जिसका अर्थ है कि पानी कुछ समय के लिए मौजूद रहा होगा और फिर यह वाष्पित हो गया होगा।
मंगल पर पानी रहने के सुबूत को लेकर वैज्ञानिकों ने कही बड़ी बात
वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर पानी का वजूद रहे होने को लेकर कई दावा किया है। फ्रांस, अमेरिका और कनाडा के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में कहा है कि मंगल के प्रारंभिक सतह पर मानी रहा होगा। बाद में वह वाष्पित हुआ। मिट्टी में दरारें बनने तक इस प्रक्रिया की पुरावृत्ति हुई होगी। ‘क्यूरियोसिटी’ रोवर पर लगे केमकैम उपकरण से संबंधित प्रमुख अन्वेषक और इस अध्ययन के लेखकों में से एक नीना लान्ज़ा ने कहा, "ये मिट्टी की दरारें हमें उस परिवर्ती समय को दिखाती हैं जब तरल पानी कुछ मात्रा में था।" इस प्रकार, ये निष्कर्ष इस संभावना की ओर इशारा करते हैं कि मंगल पर कभी पृथ्वी जैसी आर्द्र जलवायु रही होगी और लाल ग्रह किसी समय रहने योग्य रहा होगा। (भाषा)
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