Austalia News: समंदर में चीन की अकड़ ढीली करने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने कमर कस ली है। चीन हिंद प्रशांत महासागर में अपनी दादागिरी करता है। छोटे देशों पर अपना दबदबा बनाता है। कभी कभार तो वह ऑस्ट्रेलिया को भी आंख दिखाने से गुरेज नहीं करता। चीन की इसी हरकत पर उसे सबक सिखाने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका जंगी हथियार करने का फैसला किया है। चीन से मुकाबला करने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका से 1.5 बिलियन डॉलर के हथियारों की खरीद का ऐलान किया है।
लंबी दूर का खतरनाक ड्रोन खरीदेगा ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया जो जंगी हथियार अपनी सेना के बेड़े में शामिल करेगा, उनमें मौजूदा पी-8ए पोसीडॉन मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट का अपग्रेडेशन भी शामिल है। भारत भी पोसीडॉन के एक अलग वेरिएंट का इस्तेमाल करता है, जिसका प्रमुख काम समुद्र में दुश्मन की हरकतों पर नजर रखना है। भारत जिस वेरिएंट का इस्तेमाल करता है, उसका नाम पी-8आई पोसीडॉन है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका से समुद्री निगरानी के लिए चौथी लंबी दूरी का ट्राइटन ड्रोन खरीदने का भी फैसला किया है। यह अमेरिका से सबसे महंगे ड्रोन में से एक है।
2026 तक इन क्षमताओं से लैस होगा ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया ने इस विवादास्पद अमेरिकी हथियार अधिग्रहण बिल को मंगलवार को सार्वजनिक किया। यह रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स के लिए 1.5 बिलियन डॉलर के प्रोत्साहन का हिस्सा है। इसमें मौजूदा पी-8ए पोसीडॉन बेड़े का अपग्रेडेशन भी शामिल है। इससे पी-8ए समुद्री गश्ती विमान को 1000 किमी तक एंटी शिप मिसाइल फायर करने की ताकत मिलेगी। रक्षा विभाग को उम्मीद है कि उसके 14 बोइंग निर्मित विमानों में से पहले को 2026 तक एंटी सबमरीन वारफेयर, समुद्री हमले और खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमताओं से लैस किया जाएगा।
गश्ती विमान के बेड़े को 2030 तक किया जाएगा अपग्रेड
ऑस्ट्रेलिया को अनुमान है कि पी-8ए समुद्री गश्ती विमान के पूरे बेड़े को 2030 तक अपग्रेड करने की उम्मीद है। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा उद्योग मंत्री पैट कॉनरॉय का कहना है कि पी-8ए का अपग्रेडेशन और अतिरिक्त एमक्यू-4सी ट्राइटन ड्रोन सिस्टम की खरीद हमारी रक्षा और विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण होगी।