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सेब हमेशा से बड़े, रसीले और मीठे नहीं हैं, प्राचीनकाल में छोटे और कड़वे होते थे

पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि सेब की खेती मानव ने कम से कम 5,000 साल पहले शुरू की थी।

Reported by: Bhasha
Published : April 16, 2022 17:33 IST
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Image Source : PIXABAY/PUNCH_RA Representational Image.

Highlights

  • प्राचीनकाल में सेब का आकार छोटा और स्वाद अक्सर कड़वा होता था।
  • पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि सेब की खेती मानव ने कम से कम 5,000 साल पहले शुरू की थी।

(टॉमी डेविस पीएचडी छात्र, कृषि, डलहौजी विश्वविद्यालय) हालीफैक्स (कनाडा): सेब स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है लेकिन यह हमेशा से बड़े, रसीले और मीठे नहीं हैं। प्राचीनकाल में सेब का आकार छोटा और स्वाद अक्सर कड़वा होता था। स्थानीय दुकान से लिये एक बड़े, मीठे सेब को काटते समय हम अक्सर इनकी विशेषताओं को हल्के में लेते हैं। क्या हमारे अतीत के सेब हमेशा स्वादिष्ट थे? हमारे सेब कहां से आए और उनमें इतना परिवर्तन कैसे हुआ?

सेब की उत्पत्ति का पता आधुनिक कजाकिस्तान में तियान शेन पहाड़ों पर लगाया सकता है, जहां सेब की प्राचीन किस्म, मालुस सिवेर्सि, आज भी जंगलों में उगती हैं। कजाखस्तान का सबसे बड़ा शहर, अल्माटी, कजाक शब्द अल्माटाऊ से इसका नाम लिया गया है जिसका अर्थ है ‘सेब पर्वत।’ पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि सेब की खेती मानव ने कम से कम 5,000 साल पहले शुरू की थी। पिछली 5 सहस्राब्दियों के दौरान, हमारे पूर्वजों ने पहले रेशम मार्ग के माध्यम से पूरे एशिया में और अंततः दुनियाभर में सेब के बीज पहुंचाए। लेकिन ये प्राचीन सेब उन किस्मों से काफी अलग हैं जिनके हम आज आदी हैं।

जंगली सेब अक्सर छोटे, अम्लीय और कड़वे होते हैं और आम तौर पर इसमें ऐसा कुछ नहीं है जिसे खरीदने के लिए आप पैसे खर्च करना चाहंगे। हमारे शोध समूह ने आज के समय में खेतों में उगाई जाने वाली सेब की किस्मों (हनीक्रिसप और मैकिन्टोश) की तुलना सेब की प्राचीन किस्म, मालुस सिवेर्सि से की, ताकि यह पता लगाया जा सके कि सेब के फल हजारों वर्षों में कैसे बदल गए हैं। हमारे शोध ने कनाडा के एप्पल जैव विविधता संग्रह का उपयोग किया जो नोवा स्कोटिया में एक बाग है जिसमें दुनियाभर से सेब की 1,000 से अधिक विभिन्न किस्में हैं।

हमारे अध्ययन से पता चला है कि बागों में उगाये गये सेब जंगल में उगे सेबों की तुलना में 3.6 गुना भारी और 43 प्रतिशत कम अम्लीय होते हैं। आज हम सुपरमार्केट में जो सेब देखते हैं, वे उन सेबों की तुलना में बड़े और अधिक स्वादिष्ट हैं जिसे हमारे पूर्वज खाते थे। इसके अलावा, बाग में उगाये गए सेबों में जंगली सेबों की तुलना में 68 प्रतिशत कम ‘फेनोलिक’ सामग्री होती है। फेनोलिक यौगिक फलों में जैवसक्रिय पदार्थ होते हैं जो बेहतर मानव स्वास्थ्य परिणामों से जुड़े होते हैं। पिछले 200 वर्षों में, सेब को स्वादिष्ट बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया।

हमारे सेबों को बेहतर बनाने के हाल के प्रयासों में फलों को अधिक समय तक ताजा रखने और उनका स्वाद मीठा बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वैश्विक खाद्य बाजारों के विस्तार और मीठे स्वाद के लिए हमारी बढ़ती प्राथमिकताओं के साथ, ये परिवर्तन आधुनिक समाज की इच्छाओं का संकेत हैं। (द कन्वरसेशन)

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