Thursday, November 07, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. अन्य देश
  4. भारत के अलावा और किन देशों में होती है सूर्य की पूजा, जानें अन्य देशों में क्या है मान्यता?

भारत के अलावा और किन देशों में होती है सूर्य की पूजा, जानें अन्य देशों में क्या है मान्यता?

पूर्वोत्तर भारत में छठ महापर्व की धूम है। यह पर्व छठ पूजा के लिए जाना जाना जाता है। छठ पूजा में सूर्या की उपासना की जाती है। इसमें उगते और डूबते सूर्य की पूजा होती है। भारत के अलावा और कई देश हैं, जहां सूर्य पूजा का चलन है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: November 07, 2024 18:46 IST
छठ पूजा। - India TV Hindi
Image Source : PTI छठ पूजा।

सिडनी: भारत में छठ पूजा की धूम है। इस दौरान महिलाएं और पुरुष उगते और डूबते सूर्य की पूजा-उपासना करते हैं। भारत के अलावा कई देश और भी हैं, जहां सूर्य की पूजा और उपासना की जाती है। मगर ऐसा क्यों है, दूसरे देशों में सूर्य की पूजा के पीछे क्या तर्क है? आइये इस विषय में आपको विस्तार से बताते हैं। 

दरअसल सूर्य सहस्राब्दियों से मनुष्यों के लिए प्रकाश का विश्वसनीय स्रोत रहा है। सूर्य हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक है। शायद यही कारण है कि प्राचीन धर्मों जैसे कि मिस्र, यूनान, मध्य पूर्व, भारत, एशिया और मध्य और दक्षिण अमेरिका में सूर्य की पूजा होती प्राचीन समय से होती आ रही है।  प्रारंभिक धर्म भी अक्सर उपचार से जुड़े होते थे। बीमार लोग मदद के लिए पादरी, ओझा या झाड़-फूंक करने वालों की ओर रुख करते थे। पुराने समय में लोग सूर्य का उपयोग उपचार के लिए भी करते थे, लेकिन यह शायद वैसा न हो जैसा आप सोचते हैं। 

क्या सूरज की रोशनी से ठीक होती हैं बीमारियां

कहा जाता है कि प्राचीन लोग मानते थे कि सूरज की रोशनी ही बीमारी को ठीक कर सकती है। मगर आज के समय में इस बात के ज़्यादा सबूत हैं कि वे ठीक होने के लिए सूरज की गर्मी का इस्तेमाल करते थे। एबर्स पेपीरस ईसा पूर्व 1500 साल के आसपास का प्राचीन मिस्र का चिकित्सा ‘स्क्रॉल’ है। इसमें ‘‘नसों को लचीला बनाने’’ के लिए मरहम बनाने की विधि दी गई है। यह मरहम शराब, प्याज, कालिख, फल और पेड़ के अर्क लोबान और लोहबान से बनाया गया था। इसे लगाने के बाद, व्यक्ति को ‘‘सूर्य के प्रकाश में रखा जाता था।’’ उदाहरण के लिए, खांसी के इलाज के लिए अन्य नुस्खों में विभिन्न सामग्री को एक बर्तन में डालकर धूप में रखना शामिल था। यही तकनीक चिकित्सा लेखन में भी है जिसका श्रेय यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स को दिया जाता है, जिनका काल लगभग 450-380 ईसा पूर्व माना जाता है। 

कई बीमारियों को ठीक कर सकती है सूर्य की रोशनी

विदेशें में यह माना जाता रहा है कि सूर्य की रोशनी कई बीमारियों को ठीक कर सकती है। लगभग 150 ई.में आधुनिक तुर्की में सक्रिय रहे चिकित्सक एरेटियस ने लिखा था कि सूर्य का प्रकाश सुस्ती सहित कई बीमारियों को ठीक कर सकता था। इसमें वह बीमारी भी है जिसे हम आज अवसाद के रूप में पहचानते हैं। सुस्ती मिटाने का अर्थ है प्रकाश में लेटना, सूर्य की किरणों के संपर्क में आना तथा अपेक्षाकृत गर्म स्थान में रहना। इस्लामी विद्वान इब्न सिना (980-1037 ई.) ने धूप सेंकने के स्वास्थ्य प्रभावों का वर्णन किया (उस समय जब हम त्वचा कैंसर से इसके जुड़े होने के बारे में नहीं जानते थे)।

अस्थमा और हिस्टीरिया के इलाज में भी सूर्य की रोशनी मददगार

 ‘द कैनन ऑफ मेडिसिन’ पुस्तक एक में उन्होंने कहा कि सूर्य की गर्मी पेट फूलने और अस्थमा से लेकर हिस्टीरिया तक हर तरह की बीमारी में मदद करती है। उन्होंने यह भी कहा कि सूर्य का प्रकाश ‘‘मस्तिष्क को सक्रिय करता है’’ और ‘‘गर्भाशय को साफ करने’’ के लिए फायदेमंद है। कभी-कभी विज्ञान और जादू में फर्क करना मुश्किल होता है। अब तक बताए गए इलाज के सभी तरीके सूर्य की रोशनी के बजाय उसकी गर्मी पर ज्यादा निर्भर करते हैं। लेकिन रोशनी से इलाज के बारे में क्या? वैज्ञानिक सर आइजैक न्यूटन (1642-1727) जानते थे कि आप सूरज की रोशनी को रंगों के इंद्रधनुषी स्पेक्ट्रम में ‘‘विभाजित’’ कर सकते हैं। इस और कई अन्य खोजों ने अगले 200 वर्षों में उपचार के बारे में विचारों को मौलिक रूप से बदल दिया। लेकिन जैसे-जैसे नए विचार सामने आते गए, कभी-कभी विज्ञान और जादू के बीच फर्क करना मुश्किल हो गया। 

सूरज की रोशनी बैक्टीरिया, वायरस की दुश्मन

जर्मन रहस्यवादी और दार्शनिक जैकब लॉरबर (1800-1864) का मानना ​​था कि सूरज की रोशनी लगभग हर चीज का सबसे अच्छा इलाज है। उनकी 1851 की किताब ‘द हीलिंग पॉवर ऑफ सनलाइट’ 1997 में भी छपी थी। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधारक फ्लोरेंस नाइटिंगेल (1820-1910) भी सूर्य के प्रकाश की शक्ति में विश्वास करती थीं। अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘नोट्स ऑन नर्सिंग’ में उन्होंने अपने रोगियों के बारे में कहा: ताजी हवा की जरूरत के बाद उन्हें प्रकाश की ज़रूरत होती है न केवल प्रकाश बल्कि सीधी धूप। नाइटिंगेल का यह भी मानना ​​था कि सूरज की रोशनी बैक्टीरिया और वायरस का प्राकृतिक दुश्मन है। ऐसा लगता है कि वह कम से कम आंशिक रूप से सही हैं। सूरज की रोशनी कुछ बैक्टीरिया और वायरस को मार सकती है। (द कन्वरसेशन) 

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Around the world News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement