चिली: दक्षिण अमेरिकी महादीप के देश चिली में एक बार फिर भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए। ये भूकंप के झटके भारतीय समयानुसार आज सुबह महसूस किए गए हैं। वहीं भूकंप की तीव्रता 7.3 मापी गई है। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के द्वारा इस भूकंप के बारे में जानकारी दी गई है। यूएसजीएस के द्वारा बताया गया कि चिली के एंटोफगास्टा में ये भूकंप के झटके महसूस किए गए। आगे ये भी बताया गया है कि ये भूकंप सैन पेड्रो डी अटाकामा शहर से 41 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में 128 किलोमीटर की गहराई पर आया है। वहीं भूकंप आने के बाद लोग सहम से गए।
रिंग ऑफ फायर की वजह से आते हैं भूकंप
बता दें कि चिली प्रशांत महासागर में मौजूद "रिंग ऑफ फायर" में स्थित है। यहां पर अक्सर भूकंप के झटके आते रहते हैं। इसी क्रम में साल 2010 में आए चिली में 8.8 तीव्रता के भूकंप ने काफी तबाही मचाई थी। 8.8 तीव्रता के भूकंप के बाद यहां पर सुनामी आ गई थी, जिसकी वजह से 526 लोगों की मौत भी हो गई थी। इसके अलावा चिली में लगातार भूकंप आते रहे हैं। यह क्षेत्र दुनिया के कुछ सबसे शक्तिशाली भूकंपों से प्रभावित हुआ है, जिसमें 1960 में चिली के दक्षिणी शहर वाल्डिविया में आया 9.5 तीव्रता का भूकंप भी शामिल है।
भूकंप के मामले में चिली का है काला इतिहास
इसके अलावा भी चिली में भूंकप का काला इतिहास रहा है। अब तक चिली में भूकंप की वजह से हजारों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। 1965 और 2010 के विनाशकारी भूकंपों के अलावा भी चिली में कई भयावह भूकंप आ चुके हैं। कुछ ऐसे ही भूकंप इस प्रकार हैं-
- 1965 - ला लिगुआ में 7.4 तीव्रता, 400 मरे
- 1971 - वालपराइसो क्षेत्र में 7.5 तीव्रता, 90 मरे
- 1985 - वालपराइसो के तट पर 7.8 तीव्रता, 177 लोग मरे
- 1998 - उत्तरी चिली के तट के पास 7.1 तीव्रता
- 2002 - चिली-अर्जेंटीना सीमा क्षेत्र में 6.6 तीव्रता
- 2003 - मध्य चिली के तट के पास 6.8 तीव्रता
- 2004 - मध्य चिली में बायो-बायो के पास 6.6 तीव्रता
- 2005 - 7.8 तीव्रता तारापाका, उत्तरी चिली, 11 मरे
- 2007 - उत्तरी चिली के एंटोफ़गास्टा में 7.7 तीव्रता, 2 की मौत
- 2007 - एंटोफ़गास्टा में 6.7 तीव्रता
- 2008 - तारापाका में 6.3 तीव्रता
- 2009 - तारापाका के तट पर 6.5 तीव्रता
क्यों आते हैं भूकंप?
हाल के दिनों में देश-दुनिया के कई इलाकों में भूकंप की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है। हमारी धरती के भीतर 7 टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। ये प्लेट्स लगातार अपने स्थान पर घूमते रहती हैं। हालांकि, कभी-कभी इनमें टकराव या घर्षण भी होता है। इसी कारण धरती पर भूकंप की घटनाएं देखने को मिलती हैं। इसका सबसे ज्यादा नुकसान आम जनजीवन को उठाना पड़ता है। भूकंप से मकानें गिर जाती हैं, जिसमें दबकर हजारों लोगों की मौत हो जाती है।
भारत में क्या हैं भूकंप के जोन
भूगर्भ विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के कुल भूभाग के लगभग 59 फीसदी हिस्से को भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। वैज्ञानिकों ने भारत में भूकंप क्षेत्र को जोन-2, जोन-3, जोन-4 व जोन-5 यानी 4 भागों में विभाजित किया है। जोन-5 के इलाकों को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है, जबकि जोन-2 कम संवेदनशील माना जाता है। हमारे देश की राजधानी दिल्ली भूकंप के जोन-4 में आती है। यहां 7 से अधिक तीव्रता के भी भूकंप आ सकते हैं जिससे बड़ी तबाही हो सकती है।
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