Highlights
- यूनएससी का भारत बन सकता है सदस्य
- अमेरिका समेत चार देश हैं भारत के समर्थन में
- इस साल होनी है यूएनएसी की सदस्यता विस्तार मामले पर बैठक
UNSC Expansion : दुनिया में तेजी से बदल रहे हालात के बीच भारत की धाक तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की दावेदारी भी काफी मजबूत हुई है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए चलाए गए अभियान को गति देने की बात कही है। इसके लिए वह महासभा के आगामी उच्चस्तरीय सत्र के दौरान परिषद के विस्तार पर आम सहमति बनाने के लिए अन्य नेताओं के साथ परामर्श करेंगे। वाशिंगटन की स्थायी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने यह जानकारी दी है।
लिंडा ने गुरुवार को सैन फ्रांसिस्को में संयुक्त राष्ट्र के भविष्य को संबोधित करते हुए कहा, "हमें सुरक्षा परिषद की सदस्यता का विस्तार करने के लिए समझदार और विश्वसनीय प्रस्तावों पर आम सहमति बनानी चाहिए। उन्होंने कहा, "इस महीने होने वाली महासभा के दौरान राष्ट्रपति बाइडेन, सचिव (राज्य एंटनी) ब्लिंकन, और मैं संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारियों पर व्यापक रूप से परामर्श करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें सुरक्षा परिषद और अन्य संयुक्त राष्ट्र अंगों के सुधार के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हैं। लिंडा ने कहा, "आप इस मुद्दे पर हमसे और अधिक सुनने की उम्मीद कर सकते हैं।"
भारत के विदेश मंत्री करेंगे बैठक में प्रतिनिधित्व
भारत पहले से ही यूएनएससी में स्थाई सदस्यता का दावा करता रहा है। विश्व के कई ताकतवर देशों ने भी भारत के इस दावे का समय-समय पर समर्थन किया है। जिस तरह से भारत पूरी दुनिया के सामने इस दौरान ग्लोबल लीडर बनकर उभरा है, उससे विश्व की कोई भी ताकत भारत को नजरंदाज नहीं कर सकती। आज भारत ने अपने को इस स्थिति में ला दिया है कि बड़े से बड़े देशों को उसकी जरूरत महसूस हो। हालांकि 20 सितंबर से शुरू होने वाली महासभा की वार्षिक उच्चस्तरीय बैठक में इस बार पीएम मोदी भाग नहीं होंगे। उनके बजाय विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
द्वितीय विश्व युद्ध जीतने वाले ये पांच देश हैं मौजूदा सदस्य
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फिलहाल द्वितीय विश्व युद्ध में जीत दर्ज करने वाले पांच देश शामलि हैं। इनमें चीन (तब ताइवान के नेतृत्व द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया था), फ्रांस, यूके, यूएस और सोवियत संघ (अब रूस) ने स्थायी सदस्यता ग्रहण की। लिंडा ने कहा, "सुरक्षा परिषद को मौजूदा वैश्विक वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करना चाहिए और भौगोलिक दृष्टि से विविध दृष्टिकोणों को शामिल करना चाहिए।"सुरक्षा परिषद की मूल संरचना 1945 की है।
अमेरिका ने यूएनसी में किया भारत का समर्थन
अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट की मांग का समर्थन किया है और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को लेकर नई दिल्ली की तटस्थता पर वाशिंगटन की शंकाओं के बावजूद वाशिंगटन के रुख में कोई स्पष्ट बदलाव नहीं आया है। लिंडा ने उन्होंने सुधारों की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, "हमें एक अस्थिर और पुरानी यथास्थिति का बचाव नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, हमें अधिक विश्वसनीयता और वैधता के नाम पर लचीलेपन और समझौता करने की इच्छा का प्रदर्शन करना चाहिए। लिंडा थॉमस ने कहा कि एक स्थायी सदस्य के रूप में अमेरिका सहयोग, समावेशिता और पारदर्शिता बढ़ाएगा।
छोटे देशों ने अवरुद्ध किया था पूर्व का प्रयास
उन्होंने कहा कि चूंकि सुरक्षा परिषद को संयुक्त राष्ट्र की कुल सदस्यता से अपना जनादेश मिला है और इसकी ओर से कार्य करता है, इसके सदस्यों को संयुक्त राष्ट्र निकायों के साथ, प्रासंगिक क्षेत्रीय समूहों के साथ और संयुक्त राष्ट्र के एक क्रॉस-सेक्शन के साथ महासभा के साथ बार-बार और पर्याप्त रूप से जुड़ना चाहिए। सुरक्षा परिषद में सुधार के प्रयासों को देशों के एक छोटे समूह द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया है, जिन्होंने इसे एक वार्ता मसौदे को अपनाने से भी रोक दिया है, जिस पर वार्ता आगे बढ़ाई जा सकती थी।