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अब एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में ही बनाएंगे खाना, चट्टान खाएंगे क्या? हैरान कर देगी रिपोर्ट

नई स्टडी में दावा किया गया है कि अब मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में खाना बना सकेंगे। कैसे बनाएंगे और क्या खाएंगे? जानिए पूरी डिटेल्स-

Edited By: Kajal Kumari @lallkajal
Published on: October 09, 2024 14:48 IST
atstronauts make food- India TV Hindi
Image Source : SPACE.COM अंतरिक्ष में खाना बनाएंगे एस्ट्रोनॉट्स

नई दिल्ली: एक अध्ययन के अनुसार, बड़े स्पेस मिशन में लंबी अवधि के लिए गए अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खाने की चीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तरकीब ढूंढ निकाली है।  द इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एस्ट्रोबायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, अंतरिक्ष में यात्री अपने खाने और पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एस्टेरॉयड्स का उपयोग कर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैज्ञानिक अंतरिक्ष में चट्टानों से कार्बन को परिवर्तित करने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग करके अंतरिक्ष में भोजन का उत्पादन करने का एक नया तरीका खोज रहे हैं।

चट्टानें नहीं खाएंगे एस्ट्रोनॉट्स

यह विचार अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सीमित खाद्य आपूर्ति की समस्या को हल कर सकता है। धैर्य रखें, ऐसे में अंतरिक्ष यात्री चट्टानें नहीं खाएंगे, शोधकर्ताओं का लक्ष्य ऐस्टेरॉयड से कार्बन को खाद्य रूपों में परिवर्तित करना है। अंतरिक्ष में सूखे भोजन को ले जाने की प्रक्रिया सीमित है और अंतरिक्ष में अभी खेती के विकसित होने को संभावना नहीं है। क्योंकि सूखे भोजन के विकल्प प्रतिबंधित हैं तो ऐसे में वैज्ञानिकों ने नई खोज की है। वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग प्रोफेसर जोशुआ पीयर्स ने ऐस्टेरॉयड्स के साथ बैक्टीरिया का प्रयोग कर उसे खाने योग्य बनाने की बात कही है। इस पूरी प्रक्रिया में प्लास्टिक कचरे का उपयोग भी किया जाएया। 

अमेरिकी रक्षा विभाग की परियोजना से प्रेरित मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने स्टडी की और बताया कि प्लास्टिक कचरे को तोड़कर उसे खाने योग्य भोजन में बदला जा सकता है, उसपर बैक्टीरिया का उपयोग करके पौष्टिक बायोमास बनाया जा सकता है।

जानिए कैसे बनेगा अंतरिक्ष में खाना

संबंधित शोध में, व्रीजे यूनिवर्सिटिट एम्स्टर्डम के एनीमीक वाजेन ने पाया कि पृथ्वी पर गिरे उल्कापिंडों की सामग्री पर सूक्ष्मजीव पनप सकते हैं। ऐसे डेटा का उपयोग करते हुए, डॉ. पीयर्स और उनकी टीम ने क्षुद्रग्रह बेन्नु पर ध्यान केंद्रित किया। ऐसे प्रयोग से कार्बन सामग्री अकुशल माइक्रोबियल ब्रेकडाउन के साथ भी अंतरिक्ष यात्रियों को 600 वर्षों तक जीवित रख सकती है। हालांकि, यह एक महत्वपूर्ण चुनौती है। यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक विषाक्तता परीक्षण की आवश्यकता है कि उत्पादित बायोमास अंतरिक्ष यात्रियों के खाने के लिए सुरक्षित है। 

डॉ. वाजेन ने परियोजना के भविष्य के बारे में टिप्पणी की और कहा कि इसे लेकर अभी भी कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। इस बायोमास की सुरक्षा की पुष्टि करने के लिए व्यापक विषाक्तता परीक्षण आवश्यक हैं। "यह अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।"

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