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चीतों के बाद अब 60 दरियाई घोड़े आएंगे भारत, इस देश से लाया जाएगा, जानिए कितना आएगा खर्च

70 ‘कोकीन हिप्पो‘ को स्थानांतरित करने की योजना है। इनमें से 60 भारत लाए जाएंगे। दरअसल, ये हिप्पो ड्रग स्मगलर पाब्लो एस्कोबार के प्राइवेट चिड़ियाघर में रहे जानवरों के वंशज हैं। इसी कारण से इन्हें कोकीन हिप्पो कहा जाता है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: March 31, 2023 23:46 IST
चीतों के बाद अब 60 दरियाई घोड़े आएंगे भारत, इस देश से लाया जाएगा, जानिए कितना आएगा खर्च- India TV Hindi
Image Source : FILE चीतों के बाद अब 60 दरियाई घोड़े आएंगे भारत, इस देश से लाया जाएगा, जानिए कितना आएगा खर्च

मध्यप्रदेश के कूनो अभ्यारण्य में अफ्रीका से चीतों के आने के बाद अब कोलंबिया से 70 हिप्पो भारत लाए जाएंगे।  इन हिप्पो की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि इन्हें दूसरे देशों में भेजा जा रहा है। इसी के तहत एक बड़ी संख्या यानी 70 कोकीन हिप्पो को भारत लाया जाएगा और एक अभ्यारण्य में रखा जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 70 ‘कोकीन हिप्पो‘ को स्थानांतरित करने की योजना है। इनमें से 60 भारत लाए जाएंगे। दरअसल, ये हिप्पो ड्रग स्मगलर पाब्लो एस्कोबार के प्राइवेट चिड़ियाघर में रहे जानवरों के वंशज हैं। इसी कारण से इन्हें कोकीन हिप्पो कहा जाता है। इन्हें स्थानांतरित करने में 35 लाख डॉलर का खर्च आएगा। यह योजना कोलंबियाई कृषि संस्थान, कोलंबिया वायु सेना और मैक्सिको में ओस्टोक अभ्यारण्य समेत विभिन्न संस्थान के साथ स्थानीय एंटीऑक्विया सरकार की ओर से किए गए समझौते का हिस्सा है। अभ्यारण्य 10 दरियाई घोड़ों को ले जाएगा। जबकि शेष 60 को भारत के एक अभ्यारण्य में लाया जाएगा।

दूर दूर तक खेतों में फैल चुके हैं ये हिप्पो

पाब्लो एस्कोबार के इलाकों से होते हुए ये जानवर खेत में दूर तक फैल चुके हैं। अधिकारियों की ओर से इनकी आबादी कंट्रोल करने के लिए तरह.तरह के उपाय अपनाए गए, लेकिन इसके बावजूद भी इनकी संख्या 130 से 160 हो गई है। मूल हिप्पो विदेशी जानवरों के चिड़ियाघर का हिस्सा थे। जिसे पाब्लो एस्कोबार ने 1980 के दशक में बनाया था। 1993 में उसकी मौत के बाद ज्यादातर जानवरों को अधिकारियों ने स्थानांतरित कर दिया, लेकिन परिवहन की कठिनाई के कारण उन्होंने हिप्पो को नहीं हटाया।

भारत आएंगे हिप्पो

तभी से इन हिप्पो ने तेजी से प्रजनन किया। स्थानीय मैग्डेलेना नदी के बेसिन के साथ उन्होंने अपना विस्तार किया। देखते ही देखते हिप्पो स्थानीय लोगों और अधिकारियों के लिए एक पर्यावरणीय चुनौती बन गए। 10 हिप्पो मैक्सिको में भेजे जाएंगे। भारत के एक अभ्यारण्य में 60 हिप्पो आएंगे। इन हिप्पो को उनके मूल स्थान अफ्रीका में वापस ले जाना संभव नहीं है। वहां का स्थानीय पारिस्थितिकि तंत्र इन्हें परेशान कर सकता है।

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