डोकलाम मुद्दा: डोकलाम विवाद, डोकलाम में एक सड़क निर्माण को लेकर, भारतीय सशस्त्र बलों और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच जारी सैन्य सीमा गतिरोध को संदर्भित करता है। 18 जून, 2017 को इस गतिरोध की शुरुआत हुई, जब करीब 300 से 270 भारतीय सैनिक दो बुलडोज़र्स के साथ भारत-चीन सीमा पार कर पीएलए को डोकलाम में सड़क बनाने से रोक दिया। 9 अगस्त, 2017 को, चीन ने दावा किया कि केवल 53 भारतीय सैनिक और एक बुलडोजर अभी भी डोकलाम में हैं। जबकि भारत ने इस दावे को नकारते हुये कहा है कि उसके अभी भी वहाँ करीब 300-350 सैनिक उपस्थित है। सितम्बर माह में प्रस्तावित ब्रिक्स शिख्स्र सम्मेलन से थोडा ही पहले 28 अगस्त 2017 को दोनों देशों ने अपनी सेनाएं पीछे हटाने का निर्णय लिया।
डोकलाम विवाद के चलते चीनी सेना ने भारत को धमकी भी दी। उसने कहा है कि सब्र की सीमा खत्म हो रही है और भारत को फ़ौरन पीछे हट जाना चाहिए। PLA की ओर से जारी बयान में कहा गया कि चीन अपनी सीमा की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है। भौगोलिक रूप से डोकलाम भारत चीन और भूटान बार्डर के तिराहे पर स्थित है जिसकी भारत के नाथुला पास से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी है। चुंबी घाटी में स्थित डोकलाम सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। साल 1988 और 1998 में चीन और भूटान के बीच समझौता हुआ था कि दोनों देश डोकलाम क्षेत्र में शांति बनाए रखने की दिशा में काम करेंगे।
साल 1949 में भारत और भूटान के बीच एक संधि हुई थी जिसमें तय हुआ था कि भारत अपने पड़ोसी देश भूटान की विदेश नीति और रक्षा मामलों का मार्गदर्शन करेगा। साल 2007 में इस मुद्दे पर एक नई दोस्ताना संधि हुई जिसमें भूटान के भारत से निर्देश लेने की जरूरत को खत्म कर दिया गया और यह वैकल्पिक हो गया। बाद में दोनों ही देशों ने अपनी सेनाओं को डोकलाम सीमा हटा दिया। इसे डोकलाम विवाद पर भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत बताया गया।
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