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अमेरिका में प्रदर्शनों को दुनिया का समर्थन, लेकिन ट्रंप पर मिली सधी हुई प्रतिक्रिया

अमेरिका में जारी ‘‘काले लेागों की जिंदगियां मायने रखती हैं’’ प्रदर्शन के समर्थन में लोग बर्लिन, लंदन, पेरिस समेत दुनियाभर के अन्य शहरों में सड़कों पर उतरे हैं तथा मिनेसोटा में जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों हुई हत्या पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दी गई प्रतिक्रिया पर नाराजगी जता रहे हैं।

Written by: Bhasha
Published on: June 13, 2020 14:54 IST
US President Donald Trump- India TV Hindi
Image Source : AP/FILE US President Donald Trump

बर्लिन: अमेरिका में जारी ‘‘काले लेागों की जिंदगियां मायने रखती हैं’’ प्रदर्शन के समर्थन में लोग बर्लिन, लंदन, पेरिस समेत दुनियाभर के अन्य शहरों में सड़कों पर उतरे हैं तथा मिनेसोटा में जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों हुई हत्या पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दी गई प्रतिक्रिया पर नाराजगी जता रहे हैं। हालांकि, अमेरिका के परंपरागत सहयोगी देशों के नेताओं ने ट्रंप की सीधे आलोचना नहीं की बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और घरेलू रोष के बीच संतुलन साधने का प्रयास किया।

ट्रंप के एक चर्च में फोटो खिंचवाने के लिए व्हाइट हाउस के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों को जबरदस्ती हटाये जाने के संबंध में जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से प्रतिक्रिया मांगी गयी तो वह 20 सैकंड तक तो चुपचाप खड़े सोचते रहे और फिर कहा कि कनाडा में भी व्यवस्थागत भेदभाव होता है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति का उल्लेख तक नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी बनना होगा। हमें सुनना होगा, हमें सीखना होगा और हमें चीजों के समाधान का हिस्सा बनने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।’’

जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल से जब जेडडीएफ सरकारी टेलीविजन ने ट्रंप के बयान के बारे में सवाल पूछे तो उन्होंने पहले तो कोई जवाब नहीं दिया और जब बार-बार पूछा गया तो मर्केल ने माना कि ट्रंप का राजनीतिक अंदाज बहुत विवादास्पद है, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें ट्रंप में भरोसा है तो उन्होंने कुछ नहीं कहा। ट्रंप ने पिछले सप्ताह कहा था कि फ्लॉयड की हत्या ‘वाकई बहुत भयावह है। नस्लवाद वाकई भयावह है और अमेरिकी में समाज बहुत बंटा हुआ है’।

मर्केल के बोलने में सोची-समझी रणनीति का अनुमान पहले ही लगाया जा सकता है क्योंकि चांसलर के तौर पर 14 साल से अधिक समय में उन्होंने सहयोगी देश के किसी भी नेता की आलोचना को लेकर सवालों से बचने का ही प्रयास किया है। इस मुद्दे पर हंगरी के विक्टर ओर्बन या इसराइल के बेंजामिन नेतन्याहू जैसे नेताओं ने भी चुप्पी साध रखी है जो ट्रंप का समर्थन करते हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने फ्लॉयड की मौत को ‘भयावह’ बताया और कहा कि लोगों को अन्याय के बारे में अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए प्रदर्शन का अधिकार है।

उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों की अपील की। खासकर ट्रंप की आलोचना वाले मुद्दों पर अक्सर सवालों को टालने वाले लेकिन उनके प्रशासन की कुछ नीतियों के खिलाफ खुलकर बोलने वाले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों 25 मई से सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए हैं जिस दिन फ्लॉयड की मौत हो गयी थी। स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज समेत कुछ नेताओं ने इस मामले में कड़ा रुख व्यक्त किया है। सांचेज ने अमेरिका में प्रदर्शनों पर हुई कार्रवाई को ‘अधिनायकवादी’ करार दिया। नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग ने देश की एनटीबी समाचार एजेंसी से बातचीत में पिछले हफ्ते कहा था कि वह अमेरिका के घटनाक्रम से बहुत चिंतित हैं।

घाना के राष्ट्रपति नाना आकुफो अड्डो ने पिछले सप्ताह कहा कि यह अच्छी बात नहीं है कि 21वीं सदी में भी अमेरिका नस्लवाद की समस्या से जूझ रहा है। दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सी रामाफोसा ने कहा कि अमेरिका में नग्न नस्लवाद है। हालांकि उन्होंने ट्रंप का नाम नहीं लिया। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने इस बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने अमेरिका के हालात को ‘हास्यास्पद’ करार दिया।

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