पर्थ: पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में पत्थर का एक छोटा परतनुमा टुकड़ा मिला है, जो एक कुल्हाड़ी का हिस्सा है। पुरातत्वविदों ने इसे दुनिया की सबसे पुरानी कुल्हाड़ी होने का दावा किया है। एबीसी ऑस्ट्रेलिया की रपट के मुताबिक, इस खोज से हमें 45,000 से लेकर 49,000 साल पहले की तकनीकी उन्नति का पता चलता है, जो ऑस्ट्रेलिया में लोगों के आगमन से मेल खाता है।
पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि पत्थर के टुकड़े के साथ लकड़ी का हत्था भी लगा था
यह टुकड़ा प्राचीनतम ज्ञात टुकड़े से 10,000 साल पुराना है, जो 2010 में उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाया गया था। हालांकि ज्यादातर पुरानी कुल्हाड़ियां आमतौर पर चकमक पत्थर से बनी हैं, जो समूचे यूरोप और अफ्रीका में पाई गई हैं। एक बहुत प्रसिद्ध हथियार नोरफोक बीच पर मिला था, जो सात लाख साल पुराना है, लेकिन यह अलग किस्म का औजार है। पुरातत्ववेत्ताओं का कहना है कि मूल कुल्हाड़ी दस्ते के साथ थी। इसका मतलब यह है कि इस पत्थर के टुकड़े के साथ हत्था भी लगा हुआ होगा।
दुनिया की सबसे पुरानी कुल्हाड़ियां ऑस्ट्रेलिया में मिलीं
प्रोफेसर सू ओ कोन्नोर, जिन्होंने इस टुकड़े की खोज की, का कहना है कि दुनिया की सबसे प्राचीन कुल्हाड़ियों में से सभी ऑस्ट्रेलिया में पाई गई हैं। ऑस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ कल्चर, हिस्टरी एंड लैंग्वेज के प्रोफेसर ओ कोन्नोर कहती हैं, "जापान में ऐसी 35,000 साल पुरानी कुल्हाड़ियां मिली हैं, लेकिन दुनिया के ज्यादातर देशों में वे कृषि के साथ महज 10,000 साल पहले आईं हैं।" उन्होंने अंगूठे के आकार का टुकड़ा 1990 के शुरुआती दशक में कारपेंटर गैप से ढूढ़ा था। कारपेंटर गैप विनजाना जॉर्ज नेशनल पार्क एक बड़ी पत्थरों की गुफा है, जिसे ऑस्ट्रेलिया में आधुनिक मानवों द्वारा कब्जाया गया पहला क्षेत्र माना जाता है।
प्रोफेसर के अनुसार कुल्हाड़ी तब के इन्सानों में सांस्कृतिक विविधता का भौतिक संकेत है
साल 2014 में ओ कोन्नोर ने इस जगह से निकाली गई वस्तुओं का एक बार फिर अध्ययन किया। उनकी नजर एक कुल्हाड़ी के टुकड़े जैसी दिखनेवाली चीज पर पड़ी। उन्होंने इसकी पुष्टि के लिए सिडनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर हिसकॉक से संपर्क साधा। यह कुल्हाड़ी का टुकड़ा तलछट की उसी परत में पाया गया है, जिसके एक कोयले के नमूने की रेडियोकार्बन डेटिंग करने पर 48,875 से 43,941 वर्ष पुराना होने का पता चला। प्रोफेसर हिसकॉक का कहना है कि इन प्राचीन नवोन्मेषों से ही विभिन्न समूहों के बीच सांस्कृतिक विविधता पैदा हुई। उन्होंने कहा, "यह कुल्हाड़ी संभवत: आदिम लोगों के पूर्वजों में सांस्कृतिक विविधता का भौतिक संकेत है।" यह शोध जर्नल ऑस्ट्रेलियन आर्कियलॉजी में प्रकाशित किया गया है।