उनका कहना था कि ये गिरफ़्तारियां सद्दाम हुसैन पर जानलेवा हमले के बाद की गईं थी जो शिया दावा पार्टी ने करवाया था। "अगर राष्ट्राध्यक्ष पर हमला होता है तो क़ानूनन कार्रवाई ज़रुरी होती है। संदिग्ध लोग अगर हथियार सहित पकड़े जाते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर मुक़दमा चलाना लाज़मी है।"
अज़ी़ज़ अपने अंतिम दिनों में पश्चिम बग़दाद की कैम्प कूपर जेल में रह रहे थे। उन्हें 17 जनवरी 2010 को दिल का दौरा पड़ा था और फिर उन्हें जेल से अस्पताल शिफ़्ट कर दिया गया था। उन्हें डायबिटीज़ और अन्य बीमारियां थी।
5 जून 2015 को नासिरियाह शहर के हुसैन अस्पताल में उनका निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे।