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WHO ने की PM मोदी के आश्वासन की सराहना, अदा किया शुक्रिया

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस अदानोम गेब्रिएसस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस आश्वासन की सराहना की जिसमें उन्होंने कहा कि भारत कोविड-19 से लड़ रहे देशों की मदद के लिए अपनी टीका उत्पादन क्षमता का इस्तेमाल करेगा।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : September 27, 2020 13:06 IST
Tedros Adhanom Ghebreyesus
Image Source : TWITTER Tedros Adhanom Ghebreyesus

न्यूयॉर्क: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस अदानोम गेब्रिएसस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस आश्वासन की सराहना की जिसमें उन्होंने कहा कि भारत कोविड-19 से लड़ रहे देशों की मदद के लिए अपनी टीका उत्पादन क्षमता का इस्तेमाल करेगा। गेब्रिएसस ने कहा कि इस महामारी को केवल संसाधनों के आदान-प्रदान के जरिए ही हराया जा सकता है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने ट्वीट किया, ''एकजुटता की प्रतिबद्धता दिखाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आपका शुक्रिया। मिल-जुलकर अपनी ताकतों और संसाधनों के आदान-प्रदान के जरिए ही कोविड-19 महामारी हराया जा सकता है।''

पीएम मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में अपने संबोधन में कहा, ‘‘टीका उत्पादन के मामले में भारत के सबसे बड़ा देश होने के नाते, मैं आज विश्व समुदाय को एक और आश्वासन देता हूं। भारत की टीका उत्पादन और आपूर्ति की क्षमता का इस्तेमाल इस संकट से लड़ाई में पूरी मानवता की मदद के लिए किया जाएगा।’’ 

वहीं, इसके अलावा पीएम मोदी ने संबोधन के दौरान संयुक्त राष्ट्र में सुधार की भारत की मांग को पुरजोर तरीके से उठाते हुए इसे समय की मांग बताया और सवाल उठाया कि आखिरकार विश्व के सबसे बड़े इस लोकतंत्र को इस वैश्विक संस्था की निर्णय प्रक्रिया से कब तक अलग रखा जाएगा। 

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस वैश्विक मंच के माध्यम से भारत ने हमेशा ‘‘विश्व कल्याण’’ को प्राथमिकता दी है और अब वह अपने योगदान को देखते हुए इसमें अपनी व्यापक भूमिका देख रहा है। 

इस ऐतिहासिक अवसर पर देश के 130 करोड़ लोगों की भावनाएं प्रकट हुए पीएम मोदी ने कहा कि विश्व कल्याण की भावना के साथ संयुक्त राष्ट्र का जिस स्वरुप में गठन हुआ वह उस समय के हिसाब से ही था जबकि आज दुनिया एक अलग दौर में है।

उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी में हमारे वर्तमान की, हमारे भविष्य की आवश्यकताएं और चुनौतियां कुछ और हैं। इसलिए पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है।’’ प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सभी बदल जाएं और ‘‘हम ना बदलें’’ तो बदलाव लाने की ताकत भी कमजोर हो जाती है।

उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाए तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं लेकिन इसके साथ ही अनेक ऐसे उदाहरण हैं जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं। उन्होंने आतंकवाद और कोरोना के खिलाफ जंग में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के सुधारों को लेकर जो प्रक्रिया चल रही है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रक्रिया कभी अपने निर्णायक मोड़ तक पहुंच पाएगी। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के निर्णय प्रक्रिया के ढांचे से अलग रखा जाएगा।’’ मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधारा हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है। जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है। उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पूरे विश्व को एक परिवार मानता है और यह उसकी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है।’’ 

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