Martin Pistorius sometime between 1990 and 1994, when he was unable to communicate.
केयर सेंटर में भी झेली यातनाएं औऱ शारीरिक शोषण
दिन के वक्त मार्टिन को एक केयर सेंटर में भेजा जाता था। बेचारे मार्टिन को केयर सेंटर में ऐसे कर्मचारियों के साथ अपना समय बिताना पड़ा जो उसके साथ गाली-गलौज करते थे और ठीक से नहीं रखते थे। यह उस बीमार बालक के लिए किसी यातना से कम नहीं था। खुद मार्टिन के शब्दों में –
“यह बहुत ही भयावह था। केयर होम के कर्मचारी इतनी ज़ोर में मेरे बाल खींचते थे कि मेरी आंखों से आंसू निकलने लगते थे। मुझे खाना खिलाते वक्त वे मेटल का चम्मच ज़बरदस्ती मेरे मुंह में घुसाने की कोशिश करते थे और मेरे दांतों पर चम्मच को ज़ोरों से घिसते थे।
“इन यातनाओं को झेलते-झेलते जब मैं बीमार पड़ जाता था, तो वे मुझे गालियां देते थे और मुझ पर ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते थे। मैं जानता था कि अगर मैं रोऊंगा तो हालात और बिगड़ जाएंगे। मुझे बेहद गर्म चाय पिलाई जाती थी, नहीं पी पाता था, तो मुझे थप्पड़ मारे जाते, गालियां दी जाती औऱ हर पल यह एहसास कराया जाता था कि मेरा जीवन व्यर्थ है।”
“जिस महिला पर मेरी देखभाल का जिम्मा था, वह मेरा शारीरिक शोषण भी करती थी।”
यह स्वाभाविक है कि अंत में जब मेरे पैरेंट्स को इस बात का पता चला तो वे गुस्से से भर गए। मेरे पिता रॉडनी ने केयर सेंटर वालों से शिकायत की, तो वहां सबने ऐसा कुछ होने से साफ इंकार कर दिया और इस वजह से मुझे आज तक न्याय नहीं मिल सका।”
अगली स्लाइड में देखे और तस्वीरें