नई दिल्ली : साउथ अफ्रीका के रहने वाले मार्टिन पिस्टोरियस की उम्र तब सिर्फ 12 साल थी, जब एक अजीबोगरीब बीमारी ने उसे जकड़ लिया था। पहले उसका गला खराब हुआ, फिर वह सारा-सारा दिन सोने लगा औऱ अंत में अपने अंग हिलाने तक में वह बिल्कुल असमर्थ हो गया।
डॉक्टरों को लगता था कि मार्टिन क्रिप्टोकोक्कल मेनिनजाइटिस (Cryptococcal Meningitis) नाम की बीमारी से ग्रस्त है। उनके पास तब इस रहस्यमई बीमारी का कोई इलाज नहीं था। इसलिए डॉक्टरों ने उसके माता-पिता से कहा कि वे मार्टिन को घर ले जाएं औऱ उसकी देखभाल करते हुए उसकी मौत का इंतज़ार करें। मौत को धीरे-धीरे अपने बेटे के पास आते देख बेबस मां-बाप का दिल रो पड़ता था। एक दिन जब मार्टिन व्हीलचेयर पर बैठकर टीवी देख रहा था कि उसकी लाचार मां कमरे में आई और बेटे की बेबसी और बीमारी से दुखी होकर बोली – काश, तुझे मौत आ जाए मेरे बेटे अपनी देह में वह एक कैदी की तरह था
मार्टिन को घर लाकर भी उसके पैरेंट्स दुखी थे, लेकिन बीमार बेटे की देखभाल में उन्होंने कोई कमी नहीं की - वे उसे नहलाते थे, खाना खिलाते थे और हर दो घंटे में करवट बदलवाते थे ताकि उसे बेडसोर्स न हो जाएं।
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