संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC ने म्यांमार के अशांत प्रांत रखाइन में हो रही हिंसा पर चिंता जाहिर की है। हिंसा की वजह से हजारों रोंहिग्या मुसलमानों को भागकर बांग्लादेश जाना पड़ा है। परिषद ने सरकार से कहा है कि वह स्थिति को सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाये और यहां फिर से कानून एवं व्यवस्था बहाल करें। 25 अगस्त को रोहिंग्या उग्रवादियों द्वारा एक सैन्य चौकी पर हमला किए जाने के जवाब में म्यांमार के सुरक्षा बलों की ओर से कड़ी जवाबी कार्वाई होने के बाद माना जा रहा है कि 3,80,000 रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी म्यांमार छोड़कर बांग्लादेश पहुंच गए हैं। इस स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हिंसा को खत्म करने, स्थिति को काबू में करने और कानून व्यवस्था को पुन:स्थापित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है। (अब अमेरिका में रह पाएगी भारतीय इंजीनियर कुचीभोतला की पत्नी)
एक बयान में सुरक्षा परिषद ने, रखाइन प्रांत में स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। 15 सदस्यों वाली इस परिषद ने 25 अगस्त को म्यांमार में सुरक्षा बलों पर पहले किए गए हमले की बात मानते हुए इसके बाद होने वाली हिंसा की निंदा की है जिसके चलते तीन लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। सदस्यों ने म्यामां में नागरिकों की सुरक्षा और सामान्य सामाजिक-आर्थिक स्थिति बहाल करने का आवान किया। संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के राजदूत मैथ्यू राइक्रोफ्ट ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संवाददातओं से कहा, यह नौ साल में पहली बार है जब सुरक्षा परिषद म्यांमार के इस मुद्दे पर सहमत हुआ है।
राइक्रोफ्ट ने कहा कि सदस्य इस बात पर सहमत हैं कि अब सैन्य अभियान को बंद किया जाना चाहिए और जहां भी जरूरी हो वहां संपूर्ण मानवीय सहायता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, म्यांमार की सरकार का यह दायित्व है कि वह अन्नान कमीशन की सिफारिशों को लागू करने में दूरदृष्टि रखे। सुरक्षा परिषद ने शरणार्थियों को सहायता देने के बांग्लादेश के प्रयासों की भी सराहना की और ढाका की मदद करने में संयुक्त राष्ट्र व अन्य अंतरराष्ट्रीय देशों के प्रयासों का स्वागत किया। म्यांमार द्वारा बिना किसी भेदभाव के सभी विस्थापितों को मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के संकल्पों को ध्यान में रखते हुए, परिषद ने सरकार से कहा है कि वह इन संकल्पों को पूरा करे, रखाइन राज्य में जरूरतमंदों को मानवीय सहायता प्रदान करे और मानवीय सहायता देने वाले कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे।