संयुक्त राष्ट्र: यमन में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने यमन में जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए देश में फैसला लेने में सक्षम संबंद्ध पक्षों से राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने का आह्वान किया। यमन को युद्ध के परिणामस्वरूप दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने यमन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत इस्माइल ओलद शेख अहमद के हवाले से कहा, "केवल यमन के फैसला लेने में सक्षम संबद्ध पक्ष ही इस युद्ध और खूनखराबे को रोक सकते हैं।" (पिछले 2 सालों में 20 अंडे दे चुका है यह लड़का, डॉक्टर्स भी हुए परेशान )
उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण आखिरी क्षणों में पार्टियों ने शांति प्रस्ताव पर अपने कदम वापस खींच लिए। शेख अहमद ने कहा, "मैं पहली बार सार्वजनिक रूप से बताना चाहूंगा कि पहली बार हम पार्टियों के साथ बातचीत में शांति प्रस्ताव पर समझौते के करीब पहुंचे थे लेकिन अंतिम क्षणों में उन्होंने उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।" उन्होंने कहा, "विचार विमर्श की समाप्ति पर यह स्पष्ट हो गया कि हौथी (युद्ध में शामिल शिया लड़ाके) प्रस्तावित सुरक्षा इंतजामों में छूट देने के लिए तैयार नहीं हैं। यह बातचीत के जरिए समाधान में एक बहुत बड़ी बाधा है।"
उन्होंने चिन्हित किया कि संबद्ध पक्षों को ऐसा लगता है कि इस संघर्ष में अगर वे किसी तरह की छूट देते हैं तो इसे उनकी कमजोरी माना जाएगा। उन्होंने कहा कि नतीजे में वे खेदजनक ढंग से वे यमन के लोगों को रोजाना होने वाली परेशानी को नजरअंदाज करते हुए लगातार गैर जिम्मेदाराना और उत्तेजक कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, "यमन के लिए हमारे पास शांति का एक रास्ता है। व्यावहारिक सुझाव इसको शुरू करने का और पार्टियों के बीच विश्वास जगाना था जिस पर वे सहमत हो जाएं। इन सबके बीच जो मौजूद नहीं था, वह थी छूट को लेकर पार्टियों की प्रतिबद्धता और राष्ट्रीय हित में उनकी प्राथमिकता। इसी ने हमें युद्ध को समाप्त करने की उनकी वास्तविक मंशा को लेकर संदेह के घेरे में डाल दिया।"