जेनेवा: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय की मुश्किलों को कम करने और उनके जीवन स्तर को सुधारने के उद्देश्य से 70 लाख डॉलर की राशि देने की घोषणा की है। यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सोमवार को 'रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर संकल्प सम्मेलन' में की गई। यूएई की विदेश मंत्री मैथा बिंत सलेम अल शमसी ने बांग्लादेश द्वारा रोहिंग्या समुदाय को दी जा रही सहायता को सराहा। म्यांमार के रखाइन प्रांत में फैली हिंसा के बाद 6,00000 से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी भाग कर बांग्लादेश आ गए हैं। (उत्तर कोरिया के खिलाफ द. कोरिया, जापान और अमेरिका ने किया चेतावनी अभ्यास शुरू)
उन्होंने कहा कि रोहिंग्या के विरुद्ध किया गया अत्याचार सिर्फ शरणार्थी या विस्थापित लोगों के बारे में नहीं है जिन्होंने सुरक्षा की तलाश में अपना घर छोड़ा बल्कि 'यह ऐसे अपराध हैं जिसमें हजारों निर्दोष नागरिकों को मारा गया और विस्थापित किया गया और इतना ही नहीं उन्हें उनके ही देश में उनके मूल अधिकारों से वंचित किया गया।"
उन्होंने कहा, "इस अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा सहन की गई क्रूरता व परिस्थिति मानवता के विरुद्ध अपराध है। यह मानवता व नैतिक मूल्यों के बुनियादी मानकों, अल्पसंख्यकों के अधिकार व धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता को पूरा नहीं करती है।" अल शमसी ने कहा, "यूएई इन सबको रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदायों के साथ एकीकृत रुख और तत्काल उपाय अपनाने की जरूरत पर जोर देता है और जो भी इस सबके लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ जिम्मेदारी तय करने भी जोर देता है।"
मंत्री ने कहा कि यूएई रोहिंग्या के स्थिति पर नजर बनाए रखेगा और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के मानवीय कर्तव्यों को पूरा करने में सहायता करेगा। इस सम्मेलन में विभिन्न देश रोहिंग्या संकट के लिए 33.5 करोड़ डॉलर देने पर सहमत हुए। इस प्रकार, छह महीने के अंतराल पर रोहिंग्या समुदाय को दी गई कुल मानवीय सहायता 43.4 करोड़ डॉलर हो गई है।