जोहानिसबर्ग: दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति पर आरोप है कि उन्होंने अपने निजी घर की मरम्मत के लिए सरकारी खजाने से लाखों डॉलर लिए गए थे। जिसे वापिस ना कर पाने पर वहां की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को उनके खिलाफ फैसला सुनाया। अदालत का कहना है कि जैकब जुमा ने संविधान के नियमों का उल्लंघन किया है। अदालत के इस फैसले के बाद विपक्ष ने जुमा के खिलाफ महाभियोग का अभियान छेड़ दिया है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जुमा ने अपने निजी निवास पर लाखों रुपए खर्च किए, साथ ही वह देश के संविधान का सम्मान करने में भी विफल रहे हैं। जिसके बाद डेमोक्रैटिक अलांयस ने उनके विरोध में महाभियोग का अभियान छेड़ दिया है।
आपको बता दें कि अफ्रीकी राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता जुमा पर दक्षिण अफ्रीका में भारतीय गुप्ता परिवार के साथ अनुचित कारोबारी संबंध रखने के आरोप भी लगे हुए हैं। गुप्ता बंधु - अजय, अतुल और राजेश ने 1990 की शुरूआत में दक्षिण अफ्रीका आने के बाद यहां कंप्यूटर, उत्खनन, मीडिया और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हितों के साथ अनेक कंपनियां बनाई हैं। उन्होंने आरोपों से यह कहते हुए इनकार किया है कि वे किसी साजिश के शिकार हैं।
चीफ जस्टिस मोगोएंग मोगोएंग ने कहा कि एएनसी प्रभुत्व वाली संसद खर्च घोटाले में जुमा के खिलाफ कदम नहीं उठा कर अपने दायित्वों के निर्वहन में नाकाम रही है। दो साल पहले जांच के बाद, लोक अभियोजक ने जुमा से खर्च का भुगतान करने को कहा था, लेकिन उन्होंने लगातार ऐसा करने से इनकार किया। पिछले महीने जा कर कहीं उन्होंने उसमें से कुछ रकम लौटाने की पेशकश की थी।
विपक्षी डीए नेता मुसी मैमाने ने एक बयान में कहा, अत्यधिक अहम फैसला डीए की पुरानी दलील की पुष्टि करता है कि जब राष्ट्रपति जुमा ने समानांतर जांच प्रक्रियाएं शुरू कर और बाद में उनकी निवारणकारी कार्रवाई को क्रियान्वित करने में नाकाम रह कर लोक अभियोजक की निवारक कार्रवाई को कमजोर करने की कोशिश की और संविधान का गंभीर उल्लंघन किया।