संयुक्त राष्ट्र: दक्षिण अफ्रीका ने अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत से अलग होने का फैसला लिया है। ऐसा सूडान के राष्ट्रपति उमर अल बशीर के पिछले साल के दौरे के बाद उपजे विवाद के चलते लिया गया है। दरअसल बशीर युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के आरोपों में न्यायाधीकरण में वांछित हैं। विदेश मंत्री मायते कोआना माशाबाने के हस्ताक्षर वाले इंस्ट्रूमेंट ऑफ विड्रॉवल की एक प्रति कल एसोसिएट प्रेस को प्राप्त हुई थी। इसमें कहा गया है कि दक्षिण अफ्रीका जिसने इस अदालत की स्थापना की है, उसे ऐसा लगता है कि विवादों के शांतिपूर्ण हल निकालने के इसके दायित्व वर्तमान में रोम स्टेचूट में अतंर्निहित दायित्वों की अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत द्वारा दी गई व्याख्या से असंगत हैं।
रोम स्ट्रच्यूट के तहत दक्षिण अफ्रीका आईसीसी में एक पक्ष है और उसका दायित्व है कि न्यायाधिकरण में वांछित किसी भी व्यक्ति को वह गिरफ्तार करे। बशीर पर ये आरोप पश्चिमी सूडान के दाफुर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुए खूनखराबे के बाद लगे थे। यह 2003 में शुरू हुआ था जब विद्रोहियों ने सरकार के खिलाफ हथियार उठा लिए थे। संरा के मुताबिक इस संघर्ष में 3,00,000 की मौत हुई है और 27 लाख लोगों को अपने घर छोड़कर भागना पड़ा हैं जून 2015 में बशीर दक्षिण अफ्रीका में अफ्रीका संघ सम्मेलन में शामिल होने के लिए पहुंचे थे लेकिन सरकार ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया था।
एक प्रांतीय अदालत ने उन्हें तब तक देश में ही रहने का आदेश दिया था जब तक न्यायाधीश उन्हें आईसीसी के वारंट पर गिरफ्तार करने पर फैसला नहीं दे देते। लेकिन बशीर अदालत के आदेश से पहले ही सूडान के लिए निकल गए। अदालन ने कहा था कि उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। बाद में, सुप्रीम कोर्ट ऑफ अपील ने कहा था कि बशीर को गिरफ्तार करने में सरकार की नाकामी शर्मनाक बर्ताव है। बशीर पर विवाद के बाद सरकार ने जून 2015 में एक वक्तव्य में कहा था कि वह अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत से बाहर होने पर विचार कर रही है।