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क्या 12 हफ्तों के बजाय 8 हफ्तों में एस्ट्राजेनेका का बूस्टर टीका लगवाना चाहिए?

प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन न्यू साउथ वेल्स में कोरोना वायरस के अधिक मामलों वाले इलाकों में लोगों को एस्ट्राजेनेका का बूस्टर टीका लगवाने के लिए प्रेरित करते हुए कल ‘‘विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर फैसला’’ लेते हुए नजर आए।

Reported by: Bhasha
Published on: July 10, 2021 12:58 IST
क्या 12 हफ्तों के बजाय 8...- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE क्या 12 हफ्तों के बजाय 8 हफ्तों में एस्ट्राजेनेका का बूस्टर टीका लगवाना चाहिए?

कैलाघन (ऑस्ट्रेलिया): प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन न्यू साउथ वेल्स में कोरोना वायरस के अधिक मामलों वाले इलाकों में लोगों को एस्ट्राजेनेका का बूस्टर टीका लगवाने के लिए प्रेरित करते हुए कल ‘‘विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर फैसला’’ लेते हुए नजर आए। उन्होंने पहला टीका लगवाने के बाद सामान्य तौर पर 12 हफ्तों तक इंतजार करने के बजाय आठ हफ्तों में बूस्टर टीका लगवाने की अपील की। टीकाकरण पर ऑस्ट्रेलियाई तकनीकी सलाहकार समूह एटीएजीआई ने आधिकारिक तौर पर सलाह दी थी कि लोग कोविड-19 से अधिक से अधिक बचाव के लिए 12 हफ्तों में बूस्टर टीका लगवाएं लेकिन कुछ परिस्थितियों में इसे चार हफ्ते पहले ही लगाया जा सकता है। इन परिस्थितियों में निकटवर्ती समय में यात्रा करना या कोविड-19 के संपर्क में आने का खतरा शामिल हैं।

एटीएजीआई और कुछ अन्य टीका विशेषज्ञों की चिंता है कि अगर आप 12 हफ्तों से पहले बूस्टर टीका लगवाएंगे तो आपके शरीर में गंभीर बीमारी से बचाने के लिए पर्याप्त प्रतिरक्षा पैदा नहीं होगी। भ्रम में हैं? अभी तक हम जो जानते हैं वह यहां है। आधिकारिक सलाह क्या है? एस्ट्राजेनेका के पहले और दूसरे टीके के बीच 12 हफ्तों का अंतर रखने की सलाह द लांसेट में प्रकाशित एक अध्ययन से आयी थी। अध्ययन में पाया गया कि पहला टीका और बूस्टर टीका लगवाने के बीच छह हफ्तों से कम का समय रहने से बीमारी के लक्षणों से 55.1 प्रतिशत की रक्षा होती है। इनके बीच छह से आठ हफ्तों के अंतर से यह क्षमता बढ़कर 59.9 प्रतिशत और नौ से 11 हफ्तों के बीच 63.7 प्रतिशत हो जाती है। अगर टीकों के बीच का अंतर 12 हफ्तों या उससे अधिक होता है तो यह क्षमता बढ़कर 81.3 प्रतिशत हो जाती है। अत: एस्ट्राजेनेका टीके से सबसे बेहतर सुरक्षा पाने के लिए आपको पहले और दूसरे टीके के बीच कम से कम 12 हफ्तों का अंतर रखने की आवश्यकता है।

सिडनी में सार्स-सीओवी-2 के अत्यधिक संक्रामक डेल्टा स्वरूप के कई मामले आए हैं। तो हमें अपने आप से यह पूछने की जरूरत है कि उच्च स्तर की सुरक्षा हासिल करना बेहतर है या हमें जल्द से जल्द एक हद तक ही प्रतिरक्षा पाने की जरूरत है। लांसेट के अध्ययन में डेल्टा स्वरूप पर आंकड़े शामिल नहीं हैं क्योंकि उस वक्त इसके मामले नहीं थे लेकिन अब दुनियाभर में इसके मामले बढ़ रहे हैं। हम यह जानते हैं कि डेल्टा स्वरूप से संक्रमित होने के बाद एस्ट्राजेनेका की दो खुराक गंभीर रूप से बीमार पड़ने से रक्षा करती है जबकि एक खुराक इतनी सुरक्षा नहीं करती। डेल्टा स्वरूप के खिलाफ रक्षा के लिए आठ हफ्तों के अंतर के क्या सबूत हैं? मॉरिसन की एस्ट्राजेनेका का बूस्टर टीका करीब आठ हफ्तों में लगवाने की अपील पूरी तरह हैरान करने वाली भी नहीं है। ब्रिटेन भी अत्यधिक संक्रामक डेल्टा स्वरूप से निपटने के लिए इसी रुख का इस्तेमाल कर रहा है और इसी स्वरूप के मामले न्यू साउथ वेल्स में बढ़ रहे हैं।

हम जानते हैं कि एस्ट्राजेनेका के टीकों के बीच अंतर कम रखने से आम तौर पर टीके के असर में कमी आती है। लेकिन डेल्टा स्वरूप के संदर्भ में क्या कहा जा सकता है? ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक डेल्टा वायरस को खत्म करने वाली एंटीबॉडीज अनिवार्य रूप से पैदा नहीं करती। दो खुराक 95 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पैदा करती हैं। इस अध्ययन की भी कुछ सीमाएं हैं। पहला तो इसमें सीधे तौर पर टीके के प्रभाव का आकलन नहीं किया गया (इसके लिए क्लिनिकल ट्रायल की आवश्यकता है)।

दूसरी बात इसमें पहले और दूसरे टीके के बीच कई अंतरालों का इस्तेमाल किया गया इसलिए हम निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकते। यह कहा जा सकता है कि सिडनी में संक्रमण के मामले बढ़ने पर टीके की एक खुराक डेल्टा स्वरूप के खिलाफ बेअसर है और यह स्पष्ट है कि जल्द से जल्द अधिक से अधिक लोगों को दोनों खुराक देना एक रणनीति है। आठ हफ्तों में दो खुराक देने से कोरोना वायरस के खिलाफ उच्च स्तर की सुरक्षा तो नहीं मिलेगी लेकिन यह गंभीर रूप से बीमार पड़ने से बचाएगा। मुझे और क्या सोचने की जरूरत है? एस्ट्राजेनेका का बूस्टर टीका जल्द से जल्द लगवाने के गुण और दोष की बात करते हुए प्रतिरक्षा में कमी आना ही एकमात्र चीज नहीं जिस पर विचार किया जाए। हमने अभी सुना कि फाइजर के और टीके जल्द से जल्द आने की संभावना है।

अगर फाइजर का बूस्टर टीका लोगों को उपलब्ध होता है, जिन्होंने पहले ही एस्ट्राजेनेका की दोनों खुराक ले ली है तो यह महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। याद रखिए कि इस तरह टीके लगवाने को आधिकारिक मंजूरी नहीं मिली है। यह ज्यादा मायने नहीं रखता अगर एस्ट्राजेनेका टीके की दूसरी खुराक आपको ज्यादा अधिक सुरक्षा न देती हो। फाइजर का बूस्टर टीका आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देगा। डेल्टा स्वरूप अत्यधिक संक्रामक है। इसलिए हफ्ते मायने रखते हैं और ऑस्ट्रेलिया के एस्ट्राजेनेका टीके पर काफी ज्यादा निर्भरता होने के कारण अभी के लिए पहली और दूसरी खुराक के बीच अंतर को कम करना ठीक लगता है। एक और महीने के लिए कोरोना वायरस से बचाव के लिए यह साफ तौर पर ठीक है खासतौर से जब आपको संक्रमण की चपेट में आने या गंभीर रूप से बीमार पड़ने का अधिक खतरा हो।

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