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रोहिंग्या महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को माना जा सकता है अपराध

संघर्ष के दौरान यौन हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र की राजदूत का कहना है कि रोहिंग्या मुस्लिम महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुए अत्याचारों की बाकायदा योजना तैयार की गई और इसे म्यांमार सेना ने अंजाम दिया था।

Edited by: India TV News Desk
Published : November 23, 2017 13:34 IST
Sexual violence against Rohingya women can be considered as...
Sexual violence against Rohingya women can be considered as crime

संयुक्त राष्ट्र: संघर्ष के दौरान यौन हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र की राजदूत का कहना है कि रोहिंग्या मुस्लिम महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुए अत्याचारों की बाकायदा योजना तैयार की गई और इसे म्यांमार सेना ने अंजाम दिया था, और इसे मानवता के खिलाफ अपराध एवं नरसंहार की श्रेणी में लाया जा सकता है। बांग्लादेश शिविरों में यौन हिंसा के पीड़ितों से मुलाकात करने वाली प्रमिला पैटेन ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख जैद राद अल हुसैन के उस आकलन का पूरी तरह समर्थन करती हैं जिन्होंने रोहिंग्या लोगों को ‘‘जातिय सफायी’’ का शिकार बताया था। प्रमिला ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि व्यापक स्तर पर यौन हिंसा म्यांमार से 6,20,000 रोहिंग्या लोगों के भागने का सबसे प्रमुख कारण है। साथ ही इसे रोहिंग्या समुदाय को डरा धमका कर खदेड़ने के एक अस्त्र के तौर पर इस्तेमाल किया गया। (GES के लिए भारत रवाना हुई इवांका ट्रंप)

हालांकि म्यांमार की सरकार ने किसी भी तरह के अत्याचार की बात से इनकार किया है। सरकार ने प्रमिला की उत्तरी रखाइन प्रांत के दौरे की अनुमति की अपील भी ठुकरा दी, जहां अधिकतर रोहिंग्या रहते हैं। प्रमिला को रोहिंग्या विस्थापितों के शिविरों की यात्रा के दौरान समुदाय पर सोच समझकर किए गए अत्याचारों की भयानक, दिल दहलाने वाली और स्तब्धकारी आप बीती सुनने को मिली। प्रमिला महिलाओं के खिलाफ सभी तरह के भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र समिति की पूर्व सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ यौन हिंसा में सामूहिक बलात्कार ,सावर्जनिक तौर पर निर्वस्त्र करना और यौन गुलामी आदि शामिल है। यह यौन हमले उनको सजा देने के लिए किए गए।

उन्होंने कहा कि कई चश्मदीदों ने बेहद बर्बर तरीके से बलात्कारों की रिपोर्ट दी है। इनमें दुष्कर्म के पहले महिला या लड़की को पहाड़ी या पेड़ से बांध दिया जाता था, और उन्हें मरने के लिए वहीं छोड़ दिया जाता था। उन्होंने कहा कि कुछ लड़कियों से दुष्कर्म के बाद उनके घरों में आग लगा दी गई। प्रमिला ने बताया कि चश्दीदों ने कहा कि 25 अगस्त से पहले, म्यांमार के सैनिक रोहिंग्या समुदायों के बच्चों को आग में या गांव के कुएं में फेंक दिया करते थे ताकि पानी दूषित हो जाए और से लोग पीने के पानी के लिए भी तरस जाए।

 

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