यमन मे चल रहे गृह युद्ध का असर अब सऊदी अरब पर भी दिखने लगा है। सऊदी अरब सरकार ने बीती रात शाही फरमान जारी करते हुए देश में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है। सरकार ने सभी आला सैन्य अधियाकरियों के बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त किए गए सैन्य अधिकारियों में सऊदी सेना प्रमुख भी शामिल हैं। सरकार ने ना सिर्फ थल सेना के अधिकारी बर्खास्त किए हैं बल्कि वायुसेना के भी अधिकारियों को भी पदों से हटा दिया है। सरकार का ये फरमान यमन में साऊदी सेना का तीन साल बाद भी विद्रोहियों को पूरी तरह ना कुचल पाने की नाकामी से जोड़कर देखा जा रहा है। लगभग तीन साल से यमन में सऊदी सेना विद्रोहियों से लड़ रही है जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर अब दिखाई देने लगा है। इसके अलावा हाली ही में यमन के हूथी विद्रोहियों ने देश की राजधानी रियाद पर मिसाइल दाग़ने की धमकी दी है। हूथी विद्रोही यमन के दक्षिण में जरूर सीमित हो गए हों लेकिन अभी भी वो राजधानी सना और कई इलाकों में मज़बूती से डटे हुए हैं। इसके अलावा सऊदी सरकार ने कई उप-मंत्रियों की भी नई नियुक्तियां की है। इनमें नामों में तमादुर बिंत यूसुफ़ अल-रमाह का नाम भी शामिल हैं जो की महिला उप-मंत्री हैं। सऊदी अरब में किसी महिला का उप-मंत्री बनना कोई साधारण बात नहीं है।
इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को यमन में प्रतिबंधों को लेकर रूस के मसौदा प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इससे पहले रूस ने ब्रिटेन के मसौदे पर वीटो कर उसे निरस्त कर दिया था। इसके बाद रूस के मसौदा प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से पारित किया गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, ब्रिटेन के मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में सुरक्षा परिषद के 11 सदस्य थे जबकि रूस और बोलीविया इसके खिलाफ थे, वहीं चीन और कजाकिस्तान ने खुद को वोटिंग से दूर रखा। रूस सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य है, उसके वीटो के बाद ब्रिटेन का मसौदा पारित नहीं हो सका। इसके बाद रूस के मसौदा प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इन नए प्रतिबंधों में एक साल तक यानी 26 फरवरी 2019 तक यमन के कुछ लोगों और कंपनियों की संपत्तियां फ्रीज की गई है और इनके यात्रा पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।