संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस इस बात से ‘‘बेहद निराश’’ हैं कि सऊदी अरब के नेतृत्व वाला गठबंधन यमन पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर रहा है और उन्होंने इस संबंध में सीधे सऊदी अरब के प्रतिनिधि को पत्र लिखा है। गठबंधन ने ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों द्वारा रियाद के समीप मिसाइल हमला करने के जवाब में छह नवंबर को अपनी सीमाओं के साथ यमन के बंदरगाह और हवाईअड्डे भी बंद कर दिए।संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों की अपीलों को लगातार नजरअंदाज किए जाने के बाद गुतारेस ने सऊदी अरब के राजदूत को आज पत्र लिखकर प्रतिबंध खत्म करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इस प्रतिबंध से ‘‘मानवतावादी प्रयासों पर पहले ही विपरीत असर पड़ रहा है।’’संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने आज कहा, ‘‘महासचिव इस बात से बहुत निराश हैं कि प्रतिबंध नहीं हटाया गया।’’ (मसूद अजहर को बैन करने के भारत के फैसले से चीन को कोई परेशानी नहीं)
दुजारिक ने कहा कि गुतारेस और उनके शीर्ष सहायक अधिकारी यमन के दृश्य देखकर दुखी हैं। संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह मानव निर्मित संकट है।’’ गुतारेस ने कहा कि यह ‘‘मूर्खतापूर्ण लड़ाई’’ है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यमन में दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया है, जहां एक करोड़ 70 लाख लोगों को भोजन की जरुरत है जिनमें से 70 लाख लोग अकाल के खतरे में जी रहे हैं।यमन हैजा की भयंकर बीमारी की चपेट में भी है। वहां करीब 10 लाख लोग बीमार हैं और 2,200 लोग मारे जा चुके हैं। सऊदी अरब के राजदूत अब्दुल्ला अल-मोयुआलिमी को लिखे पत्र में गुतारेस ने गठबंधन से अनुरोध किया कि वह संयुक्त राष्ट्र के विमानों को सना और अदन के लिए उड़ान भरने की मंजूरी दें तथा विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्र में हुदयदा तथा सलीफ के अहम बंदरगाहों को फिर से खोले। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की ओर से सऊदी अरब के राजदूत से सीधी अपील करना यह दिखाता है कि यमन के मानवीय संकट को लेकर चिंता बढ़ रही है।
पत्र में गुतारेस ने हुदीदा बंदरगाह पर जांच कड़ी करने को लेकर बातचीत के लिए संयुक्त राष्ट्र का एक दल रियाद भेजने की पेशकश दी। गठबंधन की दलील है कि हुदयदा बंदरगाह पहुंचने वाले जहाजों का इस्तेमाल हूती विद्रोहियों को हथियारों की तस्करी करने के लिए किया जाता है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की तीन एजेंसियों के प्रमुखों ने चेताया था कि भोजन और दवा जैसी महत्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति के बिना हजारों निर्दोष पीड़ित मारे जाएंगे जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं।