मास्को: तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में चीन और पाकिस्तान ने तालिबान को समर्थन भी कर दिया है। तालिबान को चीन, पाकिस्तान का खुलेआम समर्थन मिल गया है। अफगान संकट पर अमेरिकी राष्ट्रपति की सफाई भी आई है। राष्ट्रपति बायडेन ने मौजूदा संकट से पल्ला झाड़ लिया है। इन सबके बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि उनका देश अफगानिस्तान में नयी तालिबान सरकार को मान्यता देने की जल्दबाजी में नहीं है। साथ ही, उन्होंने युद्धग्रस्त देश में सभी राजनीतिक ताकतों की एक समावेशी वार्ता की अपील की।
लावरोव ने कहा कि रूस अन्य सभी देशों की तरह ही है और तालिबान सरकार को मान्यता देने की जल्दबाजी में नहीं है। उन्होंने तालिबान से यह संकेत मिलने का भी जिक्र किया कि वह अन्य राजनीतिक ताकतों की भागीदारी के साथ एक सरकार गठित करना चाहता है। तालिबान द्वारा महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आग्रह करने के मद्देनजर उनकी यह टिप्पणी आई है।
लावरोव ने कहा कि मास्को अफगानिस्तान में सभी राजनीतिक ताकतों के साथ एक समावेशी राष्ट्रीय वार्ता की शुरूआत करने का समर्थन करता है। बता दें कि रूस ने 2003 में तालिबान को एक आतंकी संगठन घोषित किया था लेकिन तब से अफगानिस्तान में इस समूह की भागीदारी वाली कई दौर की वार्ता की मेजबानी की है, जिसमें हालिया वार्ता मार्च में हुई थी।
इस बीच अफगानिस्तान के प्रथम उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने तालिबान के सामने घुटने टेकने से साफ इनकार कर दिया है और खुद को देश का केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा है कि इस मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति से बहस करना बेकार है और अफगानों को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका और नाटो ने भले ही अपना हौसला खो दिया हो लेकिन हमारी उम्मीद अभी बाकी है। सालेह ने कहा कि जो बेकार का प्रतिरोध हो रहा था वह खत्म हो गया है और उन्होंने साथी अफगानों से तालिबान के खिलाफ जंग में शामिल होने का आवाह्न किया।
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