संयुक्त राष्ट्र: मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने आज कहा कि म्यामां सुरक्षाबलों ने सैन्य अभियान के दौरान असंख्य रोहिंग्या महिलाओं और लड़कियों से सामूहिक बलात्कार किया। इस अभियान के दौरान सैकड़ों रोहिंग्या मुसलमानों को सीमा पार करके बांग्लादेश भागना पड़ा। अमेरिका स्थित मानवाधिकार संगठन ने एक रिपोर्ट में कहा कि म्यामां सुरक्षाबलों ने यौन हिंसा के साथ अन्य अत्याचार किए, जो मानवता के खिलाफ अपराध हैं। बलात्कार पीड़िताओं, सहायता संगठनों और बांग्लादेशी स्वास्थ्य अधिकारियों के साक्षात्कार पर आधारित इस रिपोर्ट में बड़ी संख्या में रोहिंग्या महिलाओं के साथ बलात्कार तथा सैनिकों द्वारा यौन शोषण करने संबंधी जानकारी है।
ह्यूमन राइट्स वॉच में शोधकर्ता और रिपोर्ट के लेखक स्काई व्हीलर ने कहा, ‘‘रोहिंग्या के खिलाफ जातीय सफाये के बर्मा की सेना के अभियान में बलात्कार मुख्य और विध्वंसकारी बात है। बर्मी सेना के बर्बर हिंसक कृत्यों से असंख्य महिलाओं और लड़कियों को बहुत नुकसान तथा आघात पहुंचा है।’’ 29 बलात्कार पीड़िताओं के साक्षात्कार के आधार पर कहा गया है कि एक को छोड़कर सभी से दो या उससे ज्यादा लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया। आठ मामलों में महिलाओं और लड़कियों ने पांच या उससे अधिक सैनिकों द्वारा बलात्कार किए जाने की बात कही।
महिलाओं ने बलात्कार से पहले अपनी आंखों के सामने अपने बच्चों, पति और माता-पिता की हत्या होती देखी। एचआरडब्ल्यू ने सामूहिक बलात्कार के छह मामले बताए हैं जिसमें सैनिकों ने महिलाओं को समूहों में इकट्ठा किया और फिर उनसे मारपीट तथा दुष्कर्म किया। रिपोर्ट में 33 वर्षीय मुमताज युनूस के हवाले से कहा गया है कि सैनिकों ने एक पहाड़ी पर उसे और करीब 20 अन्य महिलाओं को पकड़ा तथा उनसे बलात्कार किया। रखाइन प्रांत में अगस्त में सैन्य अभियान शुरू होने के बाद से बौद्ध बहुल इस देश से 6,00,000 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों ने भागकर दूसरे देश में शरण ली है।