नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Corona Virus) से निपटने के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) की वैक्सीन (Vaccine) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) के विशेषज्ञों ने व्यापक इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह वैक्सीन 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए भी सुरक्षित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दक्षिण अफ्रीका में इस टीके पर सवाल उठे थे। दक्षिण अफ्रीका ने अपने स्वास्थ्य कर्मियों को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका देने पर रोक लगा दी है। आपको बता दें कि भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) करता है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) के विशेषज्ञों के पैनल ने कहा है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल उन देशों में भी किया जाना चाहिए जहां साउथ अफ्रीका के कोरोना वैरिएंट ने वैक्सीन के प्रभाव को कम किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्ट्रैटेजिक अडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्यूनिजेशन (SAGE) ने इस टीके को लेकर अपनी गाइडलाइंस जारी की है। इस गाइडलाइंस में कहा गया है कि इस लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) वैक्सीन को दो डोज में दिया जाना चाहिए।
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दक्षिण अफ्रीका में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन देने पर अस्थायी रूप से रोक
दक्षिण अफ्रीका ने अपने स्वास्थ्य कर्मियों को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) का टीका देने पर हाल ही में रोक लगा दी है। यह निर्णय एक नैदानिक परीक्षण के नतीजे आने के बाद लिया गया जिसमें पाया गया कि वैक्सीन कोरोना वायरस के नए स्वरूप से उपजी बीमारी पर प्रभावी नहीं है। दक्षिण अफ्रीका को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की पहली दस लाख खुराक पिछले सप्ताह प्राप्त हुई थी और फरवरी के मध्य से स्वास्थ्य कर्मियों को टीका देने की योजना थी। शुरुआती नतीजों में सामने आया है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन प्रभावी नहीं है। एक छोटे अध्ययन से प्राप्त प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक एस्ट्राजेनेका वैक्सीन, दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के नए प्रकार से उपजी कम तीव्रता की बीमारी से केवल न्यूनतम स्तर की सुरक्षा देता है।