हनोई: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज पुष्टि की कि आतंकी संगठन तालिबान का प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर एक अमेरिकी हवाई हमले में मारा गया है। उन्होंने उसके मारे जाने के अभियान की सराहना करते हुए इसे अफगानिस्तान में शांति लाने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया । शनिवार की बमबारी, पाकिस्तान की धरती पर किसी शीर्ष अफगान तालिबान नेता पर पहला ग्यात अमेरिकी हमला, आतंकी संगठन के लिए एक बड़ा झटका है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बयान में कहा, हमने एक संगठन के उस नेता को खत्म कर दिया है जो अमेरिका तथा गठबंधन बलों के खिलाफ हमलों की, अफगान लोगों के खिलाफ युद्ध की लगातार साजिश रचता रहा है और खुद को अलकायदा जैसे चरमपंथी गुटों के साथ रखता है। तालिबान के वरिष्ठ सूत्रों ने भी मंसूर के मारे जाने की पुष्टि की है और कहा है कि शूरा :परिषद: की नया नेता चुनने के लिए बैठक चल रही है ।
तीन दिन की वियतनाम यात्रा पर आए ओबामा ने कहा कि मंसूर ने शांति वार्ता में गंभीरता से शामिल होने और अनगिनत निर्दोष अफगान पुरूषों, स्ति्रयों तथा महिलाओं की जान लेने वाली हिंसा को खत्म करने के प्रयासों को खारिज कर दिया था । उन्होंने तालिबान के शेष नेतृत्व से शांति वार्ता में शामिल होने का आह्वान किया तथा कहा कि संघर्ष को खत्म करने का केवल यही एक मार्ग है ।
वर्ष 2015 में यह खुलासा होने के बाद कि तालिबान का संस्थापक मुल्ला उमर दो साल पहले ही मर चुका है, मंसूर को आतंकी संगठन की कमान मिली थी । मंसूर गत शनिवार को उस समय पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में अहमद लाल शहर के पास मारा गया जब एक ड्रोन ने उस कार पर मिसाइलें दागीं जिससे वह सफर कर रहा था। ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका ने पहली बार तालिबान के किसी बड़े नेता को पाकिस्तान के भीतर निशाना बनाया है। पाकिस्तान ने इस ड्रोन हमले पर अमेरिका की निन्दा की है और कहा है कि यह उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है।
ओबामा ने अपने बयान में कहा कि अमेरिकी बल पाकिस्तान की धरती पर मौजूद खतरों का पीछा करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, हम पाकिस्तान के साथ साझा उद्देश्यों पर काम करेंगे जहां हमारे सभी देशों को खतरा पहुंचाने वाले आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह नहीं मिलनी चाहिए। लेकिन यह हमला अमेरिका-पाकिस्तान के संबंधों के लिए एक ताजा झटका हो सकता है जो 2011 में अलकायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद हाल के वर्षों में काफी सुधरे थे। अमेरिका ने पाकिस्तान में, खासकर अफगानिस्तान की सीमा से लगते सीमावर्ती पाकिस्तानी कबाइली इलाकों में सैकड़ों ड्रोन हमले किए हैं । लीक हुए दस्तावेजों से पता चलता है कि सार्वजनिक रूप से विरोध करने के बावजूद इस तरह के हमलों के लिए पाकिस्तान की गुपचुप सहमति होती थी।