ताशकंद: एनएसजी में भारत की सदस्यता का प्रयास खारिज होने के बाद निराश भारत ने आज कहा कि 48 देशों के समूह में इसके आवेदन पर चर्चा के दौरान एक देश ने लगातार प्रक्रियागत बाधाएं उत्पन्न कीं। भारत का इशारा स्पष्ट रूप से चीन के विरोध की तरफ था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि एनएसजी में भारत की भागीदारी से परमाणु अप्रसार संधि को और मजबूती मिलती और पूरी दुनिया में परमाणु व्यवसाय ज्यादा सुरक्षित बनता। सोल में दो दिन की बैठक के अंत में एनएसजी ने एनपीटी को पूरी तरह से और प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए मजबूत समर्थन करने की घोषणा की क्योंकि अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार के समर्थकों ने भारत को कोई छूट देने से इंकार कर दिया। स्वरूप ने यहां कहा, हम समझते हैं कि एक देश द्वारा लगातार प्रक्रियागत बाधा उत्पन्न करने के बावजूद एनएसजी में भविष्य में भागीदारी को लेकर कल रात तीन घंटे तक चर्चा हुई।
उन्होंने कहा, सोल में एनएसजी की बैठक में भारत को तुरंत समूह की सदस्यता देने से इंकार कर दिया गया और कहा गया कि जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत नहीं किया है उनकी भागीदारी पर चर्चा जारी रहेगी। उन्होंने कहा, काफी संख्या में सदस्य देशों ने भारत की सदस्यता का समर्थन किया है और भारत के आवेदन पर सकारात्मक जवाब दिया। हम उन सबको को धन्यवाद देते हैं। हम यह भी मानते हैं कि व्यापक समझ यह बनी कि मामले को आगे ले जाया जाए।