सोल: अपनी दो दिवसीय बैठक की समाप्ति पर एनएसजी ने आज यहां परमाणु अप्रसार संधि को अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की धुरी बताते हुए इसके पूर्ण और प्रभावी क्रियान्वयन के प्रति अपना पूर्ण समर्थन घोषित किया जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत के मामले में कोई रियायत नहीं बरती जाएगी।
48 देशों के समूह द्वारा जारी एक बयान में हालांकि कहा गया है कि वह उन देशों की भागीदारी पर विचार करना जारी रखेगा जिन्होंने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। दो दिवसीय बैठक के दौरान भारत के आवेदन पर विचार विमर्श की पुष्टि करते हुए बयान में कहा गया है कि समूह ने भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग संबंधी बयान 2008 के सभी पहलुओं पर सूचना को साझा किया तथा भारत के साथ एनएसजी के रिश्तों पर विचार विमर्श किया।
बयान में कहा गया है, बैठक में भाग लेने वाली सरकारों ने एनपीटी को अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की धुरी बताते हुए इसके पूर्ण और प्रभावी क्रियान्वयन के प्रति अपना दृढ़ समर्थन दोहराया। बयान कहता है, एनएसजी ने गैर हस्ताक्षरकर्ता देशों की भागीदारी के सभी तकनीकी, कानूनी और राजनीतिक पहलुओं पर विचार विमर्श किया और इस चर्चा को जारी रखने का फैसला किया गया।
एक विशेष बैठक में कल रात भारत के आवेदन पर चर्चा हुई जहां चीन और कई अन्य देशों ने एनएसजी में इसके प्रवेश का विरोध करते हुए कहा कि वह एनपीटी का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।